ज्योतिष

आज का हिन्दू पंचांग 

आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक – 21 जून 2023
दिन – बुधवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वर्षा
मास – आषाढ़
पक्ष – शुक्ल
तिथि – तृतीया दोपहर 03:09 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – पुष्य रात्रि 01:21 तक तत्पश्चात अश्लेषा
योग – व्याघात रात्रि 02:35 तक तत्पश्चात हर्षण
राहु काल – दोपहर 12:41 से 02:23 तक
सूर्योदय – 05:55
सूर्यास्त – 07:28
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:31 से 05:13 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:21 से 01:02 तक

व्रत पर्व विवरण – अंतराष्ट्रीय योग दिवस, वर्षा ऋतु प्रारम्भ
विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

वर्षा ऋतु में स्वास्थ्यप्रदायक अनमोल कुंजियाँ

वर्षा ऋतु : 21 जून से 23 अगस्त 2023 तक

1. वर्षा ऋतु में मंदाग्नि, वायुप्रकोप, पित्त का संचय आदि दोषों की अधिकता होती है । इस ऋतु में भोजन आवश्यकता से थोड़ा कम करोगे तो आम (कच्चा रस) तथा वायु नहीं बनेंगे या कम बनेंगे, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । भूल से भी थोड़ा ज्यादा खाया तो ये दोष कुपित होकर बीमारी का रूप ले सकते हैं ।

2. काजू, बादाम, मावा, मिठाइयाँ भूलकर भी न खायें, इनसे बुखार और दूसरी बीमारियाँ होती हैं ।

3. अशुद्ध पानी पियेंगे तो पेचिश व और कई बीमारियाँ हो जाती हैं । अगर दस्त हो गये हों तो खिचड़ी में देशी गाय का घी डाल के खा लो तो दस्त बंद हो जाते हैं । पतले दस्त ज्यादा समय तक न रहें इसका ध्यान रखें ।

4. बरसाती मौसम के उत्तरकाल में पित्त प्रकुपित होता है इसलिए खट्टी व तीखी चीजों का सेवन वर्जित है ।

5. जिन्होंने बेपरवाही से बरसात में हवाएँ खायी हैं और शरीर भिगाया है, उनको बुढ़ापे में वायुजन्य तकलीफों के दुःखों से टकराना पड़ता है ।

6. इस ऋतु में खुले बदन घूमना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।

7. बारिश के पानी में सिर भिगाने से अभी नहीं तो 20 वर्षों के बाद भी सिरदर्द की पीड़ा अथवा घुटनों का दर्द या वायु संबंधी रोग हो सकते हैं ।

8. जो जवानी में ही धूप में सिर ढकने की सावधानी रखते हैं उनको बुढ़ापे में आँखों की तकलीफें जल्दी नहीं होतीं तथा कान, नाक आदि निरोग रहते हैं ।

9. बदहजमी के कारण अम्लपित्त (Hyper acidity) की समस्या होती है और बदहजमी से जो वायु ऊपर चढ़ती है उससे भी छाती में पीड़ा होती है । वायु और पित्त का प्रकोप होता है तो अनजान लोग उसे हृदयाघात (Heart Attack) मान लेते हैं, डर जाते हैं । इसमें डरें नहीं, 50 ग्राम जीरा सेंक लो व 50 ग्राम सौंफ सेंक लो तथा 20-25 ग्राम काला नमक लो और तीनों को कूटकर चूर्ण बना के घर में रख दो । ऐसा कुछ हो अथवा पेट भारी हो तो गुनगुने पानी से 5-7 ग्राम फाँक लो ।

10. अनुलोम-विलोम प्राणायाम करो – दायें नथुने से श्वास लो, बायें से छोड़ो फिर बायें से लो और दायें से छोड़ो । ऐसा 10 बार करो । दोनों नथुनों से श्वास समान रूप से चलने लगेगा । फिर दायें नथुने से श्वास लिया और 1 से सवा मिनट या सुखपूर्वक जितना रोक सकें अंदर रोका, फिर बायें से छोड़ दिया । कितना भी अजीर्ण, अम्लपित्त, मंदाग्नि, वायु हो, उनकी कमर टूट जायेगी । 5 से ज्यादा प्राणायाम नहीं करना । अगर गर्मी हो जाय तो फिर नहीं करना या कम करना ।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button