ज्योतिष

आज का हिन्दू पंचांग

 हिन्दू पंचांग

दिनांक – 16 जुलाई 2023
दिन – रविवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण (गुजरात, महाराष्ट्र में आषाढ़)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – चतुर्दशी रात्रि 10:08 तक तत्पश्चात अमावस्या
नक्षत्र – आर्द्रा रात्रि 02:39 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
योग – ध्रुव सुबह 08:33 तक तत्पश्चात व्याघात
राहु काल – शाम 05:47 से 07:28 तक
सूर्योदय – 06:03
सूर्यास्त – 07:28
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:39 से 05:21 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:25 से 01:07 तक

व्रत पर्व विवरण – कर्क संक्रांति
विशेष – चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग

15 जुलाई रात्रि 12:23 से 16 जुलाई रात्रि 10:08 तक

चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग में ॐकार का जप अक्षय फलदायी है ।

कर्क संक्रांति – 16 जुलाई 2023

पुण्य काल : दोपहर 12:46 से सूर्यास्त तक

संक्रांति में किये गये जप, तप, ध्यान एवं सत्कर्म का फल 100 गुना फलदायी है ।

प्रायश्चित जप

पूर्वजन्म या इस जन्म का जो भी कुछ पाप-ताप है, उसे निवृत्त करने के लिए अथवा संचित नित्य दोष के प्रभाव को दूर करने के लिए प्रायश्चितरूप जो जप किया जाता है उसे प्रायश्चित जप कहते हैं ।

कोई पाप हो गया, कुछ गलतियाँ हो गयीं, इससे कुल-खानदान में कुछ समस्याएँ हैं अथवा अपने से गलती हो गयी और आत्म-अशांति है अथवा भविष्य में उस पाप का दंड न मिले इसलिए प्रायश्चित – संबंधी जप किया जाता है ।

ॐ ऋतं च सत्यं चाभिद्धात्तपसोऽध्यजायत ।
ततो रात्र्यजायत तत: समुद्रो अर्णव: ।।

समुद्रादर्णवादधि संवत्सरो अजायत ।
अहोरात्राणि विदधद्विश्वस्य मिषतो वशी ।।

सूर्याचन्द्रमसौ धाता यथापूर्वमकल्पयत् ।
दिवं च पृथिवीं चान्तरिक्षमथो स्व: ।।

(ऋग्वेद :मंडल १०, सूक्त १९०, मंत्र १ – ३ )

इन वेदमंत्रों को पढ़कर त्रिकाल संध्या करे तो किया हुआ पाप माफ हो जाता है, उसके बदले में दूसरी नीच योनियाँ नहीं मिलतीं । इस प्रकार की विधि है ।

रविवार विशेष

रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)

रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)

रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।

रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।

स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।

रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।

रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।

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