आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 23 जुलाई 2023
दिन – रविवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – अधिक श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पंचमी सुबह 11:44 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी शाम 07:47 तक तत्पश्चात हस्त
योग – वरियान दोपहर 02:17 तक तत्पश्चात शिव
राहु काल – शाम 05:46 से 07:26 तक
सूर्योदय – 06:06
सूर्यास्त – 07:26
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:41 से 05:24 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:25 से 01:08 तक
व्रत पर्व विवरण – बाल गंगाधर तिलक जयंती, आजाद चंद्रशेखर जयंती
विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
कैसे बनें विद्यार्थी मेधावी व महान ?
बच्चों में ज्ञानशक्ति की वृद्धि नहीं होगी तो खड़े-खड़े पानी पियेंगे, खड़े-खड़े खाना खायेंगे । इससे और अधिक बुद्धिनाश होता है । जो लड़कियाँ लड़कों से और लड़के लड़कियों से दोस्ती करते हैं, उनकी बुद्धिशक्ति, प्राणशक्ति दब्बू बन जाती है तथा स्वास्थ्य व बुद्धि की हानि होती है ।
ज्ञानशक्ति विकसित करनी हो तो बुद्धि में दुराग्रह छोड़ो । बुद्धि में समत्व हो, शास्त्रसंबंधी विवेक हो और दुराग्रह न हो, भगवान के प्रति प्रीति का आग्रह हो । रात को सोते समय बुद्धि बुद्धिदाता में विश्रांति पाये, मैं परमात्मा में आराम कर रहा हूँ, ॐ ॐ प्रभुजी ॐ… सचेतन मन, अचेतन मन दोनों में यह ॐकार का सुमिरन करते-करते सो जाओगे तो बुद्धिशक्ति तो बढ़ेगी, बढ़ेगी… अनुमान शक्ति, क्षमाशक्ति भी बढ़ेगी ।
ज्ञान की वृद्धि में सहायक आठ बातें
विद्या अध्ययन के समय आठ बातें ज्ञान की वृद्धि में सहायक हैं । पहली बात है, शांत रहना। इसके लिए ओऽऽ… म्ऽऽ… का १०-१५ मिनट प्लुत गुंजन करने का अभ्यास करो । शांत रहने से तुम्हारे में मननशक्ति, चिंतनशक्ति विकसित होगी ।
दूसरी बात है, इन्द्रियों का संयम जो देखा, बस लपक पड़े, जो आया खा लिया, खड़े-खड़े खा लिया – पानी पी लिया, खड़े-खड़े पेशाब कर लिया… यह जरा-जरा-सी गलती पशुत्व, आसुरीपना ले आती है । इससे मति गति तामसी हो जाती है ।
तीसरी बात है, बच्चे दुःखदायी दोषों से बचे रहें । दुःखदायी दोष हैं गंदी फिल्म देखना, गंदी सोहबत (संग) में आना, गंदे कर्म करना ।
चौथी बात है, सदाचरण करे ।
पाँचवीं बात, ब्रह्मचर्य का पालन करे । (आश्रम की दिव्य प्रेरणा प्रकाश पुस्तक पढ़ने से सफल होंगे ।)
छठी बात, आसक्ति न रखे ।
सातवीं बात, सत्य बोले ।
आठवीं बात है, सहनशक्ति बढ़ावे । माँ ने कुछ कह दिया तो कोई बात नहीं, माँ है न ! पिता ने या शिक्षक ने कुछ कह दिया तो रूठना नहीं चाहिए, मुँह सुजाना नहीं चाहिए ।
बाल्यकाल में किससे सावधान रहना चाहिए ?
दुष्टों के संग से, स्वार्थियों की अक्ल और होशियारी से, मूखों से अदूरदर्शन, थोड़ी-सी चोरी, थोड़ा-सा आलस्य, थोड़ा-सा ऐसा-वैसा स्वभाव, थोड़ा-सा यह चलेगा, जरा यह चलेगा, चल जायेगा- चल जायेगा – ऐसा करते-करते अपने सद्गुण छोड़ते जाते हैं और ‘दुर्गुण चल जायेगा’ ऐसा सोचते हैं तो इससे वह महादुर्गुणी हो जाता है ।
पाँच सावधानियाँ हैं :
(१) अभिमान न करे। पढ़ाई में, कबड्डी में, खेल में जीत गये तो अभिमान न आये ।
(२) किसी पर क्रोध न करे ।
(३) पाठ बाद में याद कर लेंगे’ इस प्रकार का प्रमाद न करे । इससे भी बच्चों का विकास होगा ।
(४) संयम रखे । बुरी नजर से लड़की लड़के को देखे, लड़का लड़की को देखे… इससे जीवनीशक्ति नाश होती है ।
(५) आलस्य न करे ।
यह भी विद्यार्थी जीवन में बहुत नुकसान करता है । जिस समय जो काम करना है, तत्परता से करो । लापरवाही से काम को बिगाड़ें नहीं तो अच्छे विद्यार्थी बनेंगे ।
बुद्धि के कितने नाम होते हैं ? मनीषा, धिषणा, धी, प्रज्ञा, शेमुषी, मति ये सारे नाम बुद्धि के हैं । इनका अलग-अलग प्रभाव होता है । उचित – अनुचित का निर्णय करना यह मति का काम है। धृति और बुद्धि दोनों इकट्ठी हो तो उसे बोलते हैं ‘मेधा’ ।
मेधावी का क्या अर्थ है ?
जिसमें अनुचित को छोड़ने का सामर्थ्य और उचित में डटे रहने का सामर्थ्य होता है, उसको ‘मेधावी’ बोलते हैं ।
विद्यार्थी जीवन में और व्यावहारिक जीवन में अपनी बुद्धि ठीक होनी चाहिए, मेधावी बनना चाहिए ।