आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 11 अगस्त 2023
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – अधिक श्रावण
पक्ष – कृष्ण
तिथि – एकादशी पूर्ण रात्रि तक
नक्षत्र – मृगशिरा 12 अगस्त सुबह 06:02 तक तत्पश्चात आर्द्रा
योग – व्याघात दोपहर 03:06 तक तत्पश्चात हर्षण
राहु काल – सुबह 11:07 से 12:45 तक
सूर्योदय – 06:14
सूर्यास्त – 07:15
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:47 से 05:30 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:23 से 01:07 तक
व्रत पर्व विवरण – एकादशी वृद्धि तिथि
विशेष – एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
एकादशी तिथि में चावल खाना वर्जित है ।
परमा (कामदा) एकादशी – 12 अगस्त 2023
एकादशी 11 अगस्त प्रातः 05:06 से 12 अगस्त सुबह 06:31 तक
व्रत उपवास 12 अगस्त शनिवार को रखा जायेगा ।
एकादशी व्रत के लाभ
एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
सरल है ह्रास को रोक के विकास करना !
१) व्यर्थ चिंतन : व्यर्थ का चिंतन त्याग दें । व्यर्थ चिंतन हटाने के लिए बीच – बीच में ॐकार का उच्चारण, सुमिरन करें । व्यर्थ के चिंतन में शक्ति का ह्रास होता है । व्यर्थ कि उधेड़बुन होती रहती है, उसमें बहुत सारी शक्ति खत्म होती हैं । भगवद-उच्चारण, भगवत्सुमिरन से व्यर्थ के चिंतन का अंत हो जाता है ।
२) व्यर्थ बोलना : व्यर्थ का भाषण, व्यर्थ की बात…. १० शब्द बोलने हों तो ६ में निपटाओ तो आपका बोलना प्रभावशाली रहेगा । जो १० कि जगह पर ५० शब्द बोलते हैं उनकी कोई सुनता भी नहीं । १० कि जगह पर १०-१२ तो चल जाय, २० बोलेगा तो भी लोग ऊबेंगे । कट – टू – कट बोलना चाहिए फोन पर भी कट-टू -कट बात करनी चाहिए । व्यर्थ के भाषण से बचना हो तो भगवत्सुमिरन, भगवत्शान्ति में गोता खाते रहो, व्यर्थ की बड़बड़ाहट से बच जाओगे ।
३) व्यर्थ का दर्शन : यह देखो, वह देखो…. इससे तो भगवान को और सद्गुरु को ही देखने कि आदत डाल दो । व्यर्थ का देखना बंद हो जायेगा, कम हो जायेगा ।
४) व्यर्थ का सुनना : व्यर्थ का सुनने कि आदत होती है । टी.वी. में व्यर्थ का देखते हैं, व्यर्थ का सुनते हैं, जिससे गडबड संस्कार पड़ जाते हैं । इसकी अपेक्षा भगवान को देखो और भगवत्कथा सत्संग सुनो ।
५) व्यर्थ का घूमना : इधर गये, उधर गयें…. इससे तो फिर सत्संग में जाओ और सेवा के लिए घूमो तो व्यर्थ का घूमना बंद हो जायेगा ।
तो व्यर्थ का सोचना, बोलना, देखना, सुनना और घूमना – इनमें शक्ति का ह्रास होता है इसलिए उन्हें सार्थक में ले आओ ।
विद्याध्ययन में आनेवाली पाँच बाधाएँ
बालकों को विद्याध्ययन में पाँच बाधाओं से सावधान रहना चाहिए :
१) अभियान, २) क्रोध, ३) प्रमाद , ४) असंयम, ५) आलस्य ।
ये पाँच दोष शिक्षा में बाधक बनते हैं ।