आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 23 नवम्बर 2023
दिन – गुरुवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – कार्तिक
पक्ष – शुक्ल
तिथि – एकादशी रात्रि 09:01 तक तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र – उत्तरभाद्रपद रात्रि 05:16 तक तत्पश्चात रेवती
योग – वज्र सुबह 11:54 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहु काल – दोपहर 01:48 से 03:10 तक
सूर्योदय – 06:58
सूर्यास्त – 05:54
दिशा शूल – दक्षिण दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:14 से 06:06 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:00 से 12:52 तक
व्रत पर्व विवरण – देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी, कपूर आरती, चतुर्मास समाप्त, भीष्मपंचक व्रत प्रारम्भ, पंढरपुर यात्रा
विशेष – एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी – 23 नवम्बर 2023
देवउठी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को इस मंत्र से उठाना चाहिए
उतिष्ठ-उतिष्ठ गोविन्द, उतिष्ठ गरुड़ध्वज l
उतिष्ठ कमलकांत, त्रैलोक्यं मंगलम कुरु l l
अकाल-मृत्यु से बचने हेतु आरती
देवउठी एकादशी के दिन संध्या के समय कपूर से भगवान की आरती करने से आजीवन अकाल-मृत्यु से रक्षा होती है, एक्सीडेंट, आदि उत्पातों से रक्षा होती है l
भीष्म पंचक व्रत (23 से 27 नवम्बर)
भीष्म पंचक व्रत में क्या करना चाहिए ?
इन पाँच दिनों में अन्न का त्याग करें । कंदमूल, फल, दूध अथवा हविष्य (विहित सात्त्विक आहार जो यज्ञ के दिनों में किया जाता है) लें ।
पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोझरण व गोबर-रस का मिश्रण) का सेवन लाभदायी है ।
पानी में थोड़ा-सा गोझरण डालकर स्नान करें तो वह रोग-दोषनाशक तथा पापनाशक माना जाता है ।
ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए ।
जो नीचे लिखे मंत्र से भीष्मजी के लिए अर्घ्यदान करता है, वह मोक्ष का भागी होता है :
वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृतप्रवराय च ।
अपुत्राय ददाम्येतदुदकं भीष्मवर्मणे ।।
वसूनामवताराय शन्तनोरात्मजाय च ।
अर्घ्यं ददामि भीष्माय आजन्मब्रह्मचारिणे ।।
‘जिनका व्याघ्रपद गोत्र और सांकृत प्रवर है, उन पुत्ररहित भीष्मवर्मा को मैं यह जल देता हूँ । वसुओं के अवतार, शान्तनु के पुत्र, आजन्म ब्रह्मचारी भीष्म को मैं अर्घ्य देता हूँ ।’
(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, कार्तिक माहात्म्य)
एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?
1.एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
2. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।
3. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।
4. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।
5. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) – इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) – इनका सेवन न करें ।
6. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।
7. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।
8. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।
09. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।
10. इस दिन बाल नहीं कटायें ।
11. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।
12. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।
13. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।