ज्योतिष

आज का हिन्दू पंचांग 

हिन्दू पंचांग 
दिनांक – 25 अगस्त 2023
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – नवमी रात्रि 02:02 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र – अनुराधा सुबह 09:14 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
योग – वैधृति शाम 06:51 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
राहु काल – सुबह 11:06 से 12:42 तक
सूर्योदय – 06:19
सूर्यास्त – 07:04
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:49 से 05:34 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:19 से 01:04 तक

व्रत पर्व विवरण – वरद लक्ष्मी व्रत
विशेष – नवमी को लौकी खाना त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

रक्षा बंधन – 30 अगस्त 2023

रक्षा सूत्र बाँधने का शुभ मुहूर्त

30 अगस्त रात्रि 9:02 से 11:13 बजे तक – शुभ अमृत चौघड़िया

31 अगस्त प्रातः 3:32 से 4:54 – ब्रह्म मुहूर्त लाभ चौघड़िया

31 अगस्त सुबह 6:21 से 7:06 तक – शुभ चौघड़िया

पित्त-संबंधी समस्याओं में विशेष लाभकारी बहुगुणकारी बेदाना के बीज

शरद ऋतु (२३ अगस्त से २३ अक्टूबर) में पित्त प्रकुपित होता है अतः इस ऋतु में बेदाना (बिहीदाना) के बीज बहुत ही गुणकारी औषधि हैं। आयुर्वेद के अनुसार ये वात-पित्तशामक, कफ-बलवर्धक, हृदय व के लिए हितकारी व शरीर को पुष्ट स्वास्थ्य करनेवाले हैं । ठंडी प्रकृति के होने से ये रक्तपित्त प्रसाद (शरीर के किसी भी भाग से खून आना) में लाभदायी हैं । क्षयरोग (T.B.) में बलगम के साथ रक्त आता हो तो बेदाना के बीजों का उपयोग खूब लाभदायी है ।

ये मुँह के छाले, प्यास की अधिकता, गला सूखना, आँतों का रूखापन, खूनी बवासीर, खूनी दस्त, आमाशय व्रण (peptic ulcer), आँतों के घाव, सूखी खाँसी, शरीर की जलन, स्वप्नदोष व महिलाओं की मासिक स्राव एवं सफेद पानी पड़ने की बीमारी (श्वेतप्रदर) आदि में हितकारी हैं । विशेषतः पेशाब में जलन, संक्रमण, मवाद आना, पेशाब के साथ खून आना आदि मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभदायी हैं ।

बेदाना के २-५ ग्राम बीज १०० मि.ली. पानी में रातभर भिगोकर रखें, सुबह मसल-छान के लें अथवा १०० मि.ली. उबले हुए पानी में बीजों को डाल के बर्तन ढक दें, पानी ठंडा होने पर मसल- छान के सेवन करें। इसमें आवश्यकतानुसार मिश्री मिला सकते हैं । एक सप्ताह का यह प्रयोग गर्मी के प्रकोप से बचाकर शीतलता प्रदान करता है ।

स्वास्थ्यप्रद वेदना कल्प

लाभ : इस कल्प के प्रयोग से पेट फूलना, अरुचि, भूख की कमी, मुँह से पानी आना, हिचकी, पेटदर्द, शरीर की जलन, पेशाब में रुकावट य जलन, कब्ज, शरीर में ढीलापन, थकान, कार्य में उत्साह का अभाव, नींद की कमी या नींद का बिल्कुल नहीं आना, स्मरणशक्ति की कमी, वीर्य का पतलापन आदि समस्याएँ धीरे- धीरे दूर होकर शरीर स्वस्थ एवं मजबूत होता है । बल, बुद्धि, वीर्य वर्धक होने से विद्यार्थियों के लिए यह विशेष लाभदायी हैं ।

सेवन विधि : बेदाना के ५-७ बीजों को कूट के बनाया गया रात्रि को काँच के पात्र में ५० मि.ली. पानी में भिगो दें । सुबह १२० मि.ली. गर्म किये दूध में वह मिश्रण व मिश्री मिलाकर सेवन करें । इसी प्रकार सुबह भिगो के शाम या रात्रि को भी सेवन कर सकते हैं । हर १० दिन के अंतर से बीजों की संख्या २-२ बढ़ाते जायें (२२ से २४ होने तक)। कुछ दिनों तक इसी संख्या में लेना चालू रखें फिर उपरोक्त क्रम के अनुसार बीजों की संख्या को कम करते-करते ५-७ होने तक सेवन करें ।

पानी और दूध की मात्रा बीजों की संख्या के बढ़ने अथवा घटने के अनुरूप बढ़ाते-घटाते जायें ।

सावधानी: बीजों के सेवन के बाद डेढ़ घंटे तक कुछ खायें – पियें नहीं ।

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