आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 26 अगस्त 2023
दिन – शनिवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – दशमी रात्रि 12:08 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र – ज्येष्ठा सुबह 08:37 तक तत्पश्चात मूल
योग – विष्कम्भ शाम 04:27 तक तत्पश्चात प्रीति
राहु काल – सुबह 09:31 से 11:06 तक
सूर्योदय – 06:20
सूर्यास्त – 07:03
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:50 से 05:35 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:19 से 01:04 तक
व्रत पर्व विवरण –
विशेष – दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
चिंता, चिड़चिड़ापन व तनाव कम करने हेतु
जो व्यक्ति स्नान करते समय पानी में ( ५ मि.ली.) गुलाबजल मिलाकर ‘ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा ।’ यह मंत्र बोलते हुए सर पर जल डालता है, उसे गंगा-स्नान का पुण्य होता है तथा साथ ही मानसिक चिंताओं में कमी आती है और तनाव धीरे-धीरे दूर होने लगता है, विचारों का शोधन होने लगता है, चिड़चिड़ापन कम होता है तथा वह अपने – आपको तरोताजा अनुभव करता है ।
नामकरण क्यों और कैसे हो ?
नामकरण संस्कार में बच्चे को शहद चटाकर भगवान सूर्यनारायण के दर्शन कराये जाते हैं और शुभ संकल्प किया जाता है कि ‘बालक सूर्य की प्रखरता, तेजस्विता धारण करें ।’ इसके साथ ही भूमि को नमन करके देव-संस्कृति के प्रति श्रद्धापूर्वक समर्पण किया जाता है । बच्चे का नाम रखकर सब लोग उसके चिंरजीवी, धर्मवान, स्वस्थ एवं लौकिक, आध्यात्मिक – सर्व प्रकार से उन्नतिशील होने, समृद्ध होने का सदभाव करते हैं ।
मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि जिस तरह के नाम से व्यक्ति को पुकारा जाता है, उसे उसी प्रकार के गुणों की अनुभूति होती है । अत: नाम की सार्थकता समझते हुए ऐसा नाम रखना चाहिए जिससे आगे चलकर बालक को लगे कि मुझे बड़े होकर मेरे नाम के गुणानुसार बनना है ।
“बालक का नाम ऐसा पवित्र रखो कि पवित्र भगवान का सुमिरन हो । आजकल लोग बच्चों के नाम गजब के रखते हैं । लडकियों के नाम रखते हैं – लेष्मा, श्लेष्मा…. अब श्लेष्मा तो नाक से निकली हुई गंदगी को बोलते हैं । लडकों के नाम रखते हैं – टिन्नू, मिन्नू, बंकी, विक्की, पुम्बू…. ये कोई नाम हैं । अभिनेत्रियों के नाम लडकियों के रखेंगे, अभिनेताओं के नाम लडकों के रखेंगे – यह तो बहुत हो गया । वे बेचारे अंदर से खुद ही अशांत हैं तो अपने बच्चों को उनके नाम से क्या शांति मिलेगी, क्या ज्ञान मिलेगा ?
अरे हरिदास रखो, गोविन्द, अम्बादास, हरिप्रसाद, शिवप्रसाद … भगवान की स्मृति आये ऐसे नाम रखो । अभिनेता के नाम रखोगे तो लड़का अभिनेता जैसा होगा और भक्तों व भगवान के नाम रखोगे तो कुछ तो नाम का भी प्रभाव पड़ेगा उसके चित्त पर । ‘रावण’ नाम नहीं रखते, किसका नाम ‘रावण’ रखे तो कैसा मन हो जाय ? रावण, कुम्भकर्ण, हिटलर नाम नहीं रखते, अच्छे – अच्छे नाम रखते हैं ।
सावित्री, गार्गी, अनसूया, मदालसा, अम्बा, अम्बिका नाम रख दें अपनी कन्या का…. शबरी नाम रख दें तो भक्त शबरी की याद या जायेगी, भगवान श्रीरामजी की याद आ जायेगी । स्वयंप्रभा, सुलभा, ज्योति, सीता, पार्वती रख दें ….. ऐसे-ऐसे और भी कई पावन-पवित्र नाम हैं । चिंता न करें कि नाम कम पड जायेंगे । भारत के ऋषियों ने श्रीविष्णुसहस्रनाम, श्रीशिवसहस्रनाम, श्रीदुर्गासहस्रनाम आदि की रचना करके आपके लिए भगवन्नामों का भंडार खोल रखा है अपने सत्शास्त्रों में । तो ऐसे पवित्र-पावन नाम रखो ताकि भगवान की स्मृति आ जाय । और बच्चों में दैवी गुण आ जायें तथा माता-पिता में उच्च विचार आ जायें ।
शनिवार के दिन विशेष प्रयोग
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)
हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)
आर्थिक कष्ट निवारण हेतु
एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।