आज का हिन्दू पंचांग
हिन्दू पंचांग
दिनांक – 28 अगस्त 2023
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – द्वादशी शाम 06:22 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र – पूर्वाषाढ़ा प्रातः 05:15 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा
योग – आयुष्मान सुबह 09:56 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहु काल – सुबह 07:56 से 09:31 तक
सूर्योदय – 06:20
सूर्यास्त – 07:01
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:50 से 05:35 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:18 से 01:04 तक
व्रत पर्व विवरण – सोमप्रदोष व्रत
विशेष – द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
चाय-कॉफी के घातक दुष्परिणाम
चाय-कॉफी में पायें जानेवाले केमिकल्स से होनेवाली हानियाँ :
१) केफिन : उर्जा व कार्यक्षमता में कमी आती है । कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम, मैग्नेशियम आदि खनिजों का नुकसान होता है । कोलेस्ट्राल बढ़ता है, ह्रदयाघात हो सकता है । पाचनतंत्र को हानि होती है । कब्ज और वबासिर होती है । विटामिन ‘बी’ को क्षति पहुँचता है । रक्तचाप बढ़ता है । अम्लता बढती है । नींद कम आती है । सिरदर्द, चिडचिडापन, मानसिक तनाव होते है । गुर्दे और यकृत ख़राब होते है । मधुमेह (डायबिटीज) बढता है । शुक्राणुओं को हानि करता है । वीर्य पतला होता है और प्रजननशक्ति कम होती है । चमड़ी को हानि करता है । गर्भस्थ शिशु के आराम में विक्षेप करता है, जो जन्म के बाद उसके विकृत व्यवहार का कारण होता है । चाय – कॉफी अधिक पीनेवाली महिलाओ की गर्भधारण की क्षमता कम होती है ।
गर्भवती स्त्री चाय पीती है तो नवजात शिशु जन्म के बाद सोता नहीं है । उत्तेजित और अशांत रहता है, हाथों और घुटनों की चमड़ी खुजलाता रहता है । कभी-कभी ऐसे शिशु जन्म के बाद ठीक तरह से श्वास नहीं ले सकते और मर जाते हैं । संधिवात, जोड़ों का दर्द, गठिया आदि होते है ।
२) टेनिन : इससे अजीर्ण, कब्ज, यकृत को हानि होती है । आलस्य, प्रमाद बढ़ता है, चमड़ी को रुक्ष बनाता है ।
३) थीन : इससे खुश्की चढती है, सिर में भारीपन महसूस होता है ।
४) सायनोजन : अनिद्रा, लकवा जैसी भयंकर बीमारियाँ पैदा करता है ।
५) एरोमिक ऑयल : आँतों पर हानिकारक प्रभाव डालता है ।
अधिक चाय-कॉफ़ी पीनेवालों को चक्कर आना, गले के रोग, रक्त की अशुद्धि, दांतों के रोग और मसूड़ों की कमजोरी की तकलीफ होती है ।
चिंता भगाने की युक्ति
चिंता के कारण रात को नींद नहीं आती हो तो पुकारो : ‘हे हरि, हे गोविंद, हे माधव !’ १५ से २५ मिनट भगवान का नाम लो और २ – ४ मिनट हास्य-प्रयोग करों, ‘हरि ॐ…..ॐ…..ॐ….. मेरे ॐ….. प्यारे ॐ…. हा…हा…हा…’ प्रारब्ध तो पहले बना है, पीछे बना है शरीर ! संत तुलसीदासजी कहते हैं कि चिंता क्या करते हो ? भज लो श्रीरघुवीर …. हे गोविंद ! हे रघुवीर ! हे राम ! दुःख मन में आता है, चिंता चित्त में आती है; मैं तो निर्लेप नारायण, अमर आत्मा हूँ । मैं प्रभु का हूँ, प्रभु मेरे हैं । इससे चिंता भागेगी ।
दूसरा, पूरा श्वास भरकर उसे अंदर रोके बीना पूरी तरह बाहर निकाल दें । श्वास भीतर भरते समय भावना करें कि हम निश्चिंतता, आनंद, शांति भीतर भर रहे हैं तथा मुँह से फूँक मारते हुये श्वास बाहर छोड़ते समय भावना करें कि हम चिंता, तनाव, हताशा, निराशा को बाहर निकाल रहे हैं । ऐसा २० – २५ बार करने से चिंता, तनाव एवं थकान दूर होकर तृप्ति का अनुभव होता है ।
काहे को चिंता करना ? जो होगा देखा जायेगा । हम ईश्वर के, ईश्वर हमारे ! ईश्वर चेतनस्वरूप हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, आनंदस्वरूप हैं और हमारे सुह्रद हैं । चिंता कुतिया आयी तो क्या कर लेगी ? गुरु का संग जीवात्मा को दु:खों से असंग कर देता है । चिंताओं से असंग कर देता है । हरि ॐ …ॐ….ॐ…
चिंता से चतुराई घटे, घटे रूप और ज्ञान ।
चिंता बड़ी अभागिनी, चिंता चिता समान ।।