आज का हिन्दू पंचांग
हिन्दू पंचांग
दिनांक – 05 सितम्बर 2023
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – भाद्रपद (गुजरात महाराष्ट्र में श्रावण)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – षष्ठी दोपहर 03:46 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र – भरणी सुबह 09:00 तक तत्पश्चात कृतिका
योग – ध्रुव रात्रि 11:24 तक तत्पश्चात हर्षण
राहु काल – शाम 03:46 से 05:20 तक
सूर्योदय – 06:23
सूर्यास्त – 06:54
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:51 से 05:37 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:15 से 01:01 तक
व्रत पर्व विवरण – बलराम जयंती, शिक्षक दिवस
विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
शिक्षक दिवस – 05 सितम्बर
शिक्षकों का कर्तव्य
विद्यार्थियों को सदाचार के मार्ग में प्रशिक्षित करने और उनका चरित्र सही ढंग से मोड़ने में स्कूल तथा कॉलेजों के शिक्षकों और प्रोफेसरों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आती है । उनको स्वयं पूर्ण सदाचारी और पवित्र होना चाहिए । उनमें पूर्णता होनी चाहिए । अन्यथा वैसा ही होगा जैसा एक अंधा दूसरे अंधे को रास्ता दिखाये । शिक्षक-वृत्ति अपनाने से पहले प्रत्येक शिक्षक को शिक्षा के प्रति अपनी स्थिति की पूरी जिम्मेदारी जान लेनी चाहिए । केवल शुष्क विषयों को लेकर व्याख्यान देने की कला सीखने से ही काम नहीं चलेगा । यही प्राध्यापक की पूरी योग्यता नहीं है ।
संसार का भावी भाग्य पूर्णतया शिक्षकों और विद्यार्थियों पर निर्भर है । यदि शिक्षक अपने विद्यार्थियों को ठीक ढंग से सही दिशा में, धार्मिक वृत्ति में शिक्षा दें तो संसार में अच्छे नागरिक, योगी और जीवन्मुक्त भर जायेंगे, जो सर्वत्र प्रकाश, शांति, सुख और आनंद बिखेर देंगे ।
शिक्षको और प्राध्यापको ! जाग उठो । विद्यार्थियों को ब्रह्मचर्य, सदाचार और धार्मिकता की शिक्षा दो । उन्हें सच्चे ब्रह्मचारी बनाओ । इस दिव्य धर्म की अवहेलना न करो । इस पवित्र कार्य के लिए नैतिकता की दृष्टि से तुम्हीं लोग जिम्मेदार हो । यह तुम लोगों का योग है । सच्ची निष्ठा से यदि इस काम को अपने हाथ में लेते हो तो तुम्हें भी आत्मज्ञान प्राप्त होगा । सच्चे रहो, निष्ठावान रहो । आँखें खोलो ।
धन्य है वह, जो वास्तव में अपने विद्यार्थियों को संयमी, सदाचारी और नैष्ठिक ब्रह्मचारी बनाने में सफल है । उन पर भगवान का आशीर्वाद रहे । ऐसे शिक्षकों, प्राध्यापकों और विद्यार्थियों की जय हो !
जन्माष्टमी – 06/07 सितम्बर 2023
हजार एकादशी का फल देनेवाला व्रत
जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है । उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात, जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्व है ।
भविष्य पुराण में लिखा है कि जन्माष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु नहीं होने देता है । जो जन्माष्टमी का व्रत करते हैं, उनके घर में गर्भपात नहीं होता ।
एकादशी का व्रत हजारों – लाखों पाप नष्ट करनेवाला अदभुत ईश्वरीय वरदान है लेकिन एक जन्माष्टमी का व्रत हजार एकादशी व्रत रखने के पुण्य की बराबरी का है ।
एकादशी के दिन जो संयम होता है उससे ज्यादा संयम जन्माष्टमी को होना चाहिए ।
बाजारु वस्तु तो वैसे भी साधक के लिए विष है लेकिन जन्माष्टमी के दिन तो चटोरापन, चाय, नाश्ता या इधर – उधर का कचरा अपने मुख में न डालें ।
इस दिन तो उपवास का आत्मिक अमृत पान करें ।अन्न, जल, तो रोज खाते – पीते रहते हैं, अब परमात्मा का रस ही पियें । अपने अहं को खाकर समाप्त कर दें।
कफ शामक – पंजीरी प्रसाद
जन्माष्टमी के दिन पंजीरी का प्रसाद बनाया जाता है जो, कफ को शमन करता है । वात के प्रकोप, पित्त के संचय को कम करता है । यह पाचन के लिए, आंखों के लिए लाभदायक है । पंजीरी दिमागी तरावट, मस्तिष्क संबंधी समस्याओं फायदेमंद है ।
धनियां पाउडर- 100 ग्राम
देशी घी – 3 से 4 टेबल स्पून
मखाने – 10-15 ग्राम
पिसी मिश्री – 100 ग्राम
काजू ,बादाम – 8 से 10 (बारीक कटे हुये)
चिरोंजी – एक चम्मच
विधि
कढ़ाई में 2 टेबल स्पून घी डालें और बारीक पिसे धनियां पाउडर को अच्छी खुशबू आने तक भून लिजिये । बचे हुए घी में मखाने डाल कर भुने लीजिये, मखाने भुनने के बाद मखाने को किसी भारी चीज से या हाथ से तोड़ कर बारीक या दरदरा कर लीजिये । काजू और बादाम को भी छोटे-छोटे टुकड़ो में काट लीजिये । अब भुने हुए धनियां पाउडर में मखाने, काजू , बादाम एवं पिसा हुआ मिश्री मिला कर पंजरी बना लीजिए ।