आज का हिन्दू पंचांग
हिन्दू पंचांग
दिनांक – 23 अक्टूबर 2023
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – आश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – नवमी शाम 05:44 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र – श्रवण शाम 05:14 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग – शूल शाम 06:53 तक तत्पश्चात गण्ड
राहु काल – सुबह 08:06 से 09:32 तक
सूर्योदय – 06:40
सूर्यास्त – 06:08
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:00 से 05:50 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:59 से 12:49 तक
व्रत पर्व विवरण – महानवमी, शारदीय नवरात्र समाप्त, नवरात्र उत्थापन पारणा, महात्मा बुद्ध जयंती, हेमंत ऋतु प्रारम्भ
विशेष – नवमी को लौकी खाना त्याज्य है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
नवरात्रि – महानवमी – 23 अक्टूबर
शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन माँ दुर्गा के नौवें अवतार सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है । माँ सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं । सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सभी सुख-समृद्धि प्राप्त होती है ।
नवरात्रि की नवमी तिथि यानी अंतिम दिन माता दुर्गा को हलवा, चना-पूरी, खीर आदि का भोग लगाएं । इससे वैभव व यश मिलता है ।
नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्त्व
नवरात्रि के नवमी को 9 से 17 साल की कन्या का पूजन भोजन कराने से सर्व मंगल होगा, संकल्प सिद्ध होंगे, सामर्थ्यवान बनेंगे, इसलोक के साथ परलोक को भी प्राप्त कर लेंगे, पाप दूर होते हैं, बुद्धि में औदार्य आता है, नारकीय जीवन छुट जाता है, हर काम में, हर दिशा में सफलता मिलती है ।
नवरात्र के उपवास कब खोलें ?
ॐ नवरात्रि समाप्त, उत्थापन व पारणा – 23 अक्टूबर 2023
शारदीय-आश्विन नवरात्रि 23 अक्टूबर को समाप्त हो रही है । अतः 23 अक्टूबर को शाम 5 बजे से पहले अन्न ग्रहण करके उपवास खोल सकते हैं । जिन श्रद्धालुओं को हवन, कन्या-पूजन आदि करना हो, वे भी दिन में ही सम्पन्न करके शाम 5 बजे से पहले उपवास खोल लें ।
हेमंत ऋतु में स्वास्थ्य रक्षा
हेमंत ऋतु : 23 अक्टूबर से 22 दिसम्बर 2023
यह ऋतु विसर्गकाल अर्थात् दक्षिणायन का अन्तकाल कहलाती है । इस काल में चन्द्रमा की शक्ति सूर्य की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली होती है इसलिये इस ऋतु में औषधियाँ, वृक्ष, पृथ्वी व जीव-जन्तुओं की पौष्टिकता में भरपूर वृद्धि होती है । शीत ऋतु में शरीर में कफ का संचार होता है तथा पित्तदोष का नाश होता है ।
शीत ऋतु में जठराग्नि अत्यधिक प्रबल रहती है अतः इस समय लिया गया पौष्टिक और बलवर्धक आहार वर्ष भर शरीर को तेज, बल और पुष्टता प्रदान करता है । इस ऋतु में एक स्वस्थ व्यक्ति को अपनी सेहत की तन्दुरुस्ती के लिये किस प्रकार का आहार लेना चाहिए ? शरीररक्षण कैसे हो ? आइये, हम उसे जानें :
शीत ऋतु के इस काल में खट्टा, खारा तथा मधुर रसप्रधान आहार लेना चाहिए ।
पचने में भारी, पौष्टिकता से भरपूर, गरिष्ठ एवं घी से बने पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए ।
इस ऋतु में सेवन किये हुए खाद्य पदार्थों से ही वर्ष भर शरीर की स्वस्थता की रक्षा का भंडार एकत्रित होता है । अतः उड़दपाक, सोंठपाक जैसे बाजीकारक पदार्थों अथवा च्यवनप्राश आदि का उपयोग करना चाहिए ।
जो पदार्थ पचने में भारी होने के साथ-साथ गरम व स्निग्ध प्रकृति के होते हैं, ऐसे पदार्थ लेने चाहिए ।
दूध, घी, मक्खन, गुड़, खजूर, तिल, खोपरा, सूखा मेवा तथा चरबी बढ़ानेवाले अन्य पौष्टिक पदार्थ इस ऋतु में सेवन करने योग्य माने जाते हैं ।
इन दिनों में ठंडा भोजन नहीं करना चाहिए बल्कि थोड़ा गर्म एवं घी-तेल की प्रधानतावाला भोजन करना चाहिए ।