सरकारी संस्थान में ‘बैकमैन टोटल फिजियोलॉजिकल पेसिंग’ का कीर्तिमान

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने और बड़े सरकारी चिकित्सा संस्थान, पंडित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय (Pt. JNM) और उससे संबद्ध डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय की विशेषज्ञ टीम ने एक बार फिर जटिल चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है। यह उपलब्धि बताती है कि राज्य में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान निरंतर प्रगति कर रहा है।
देश की छठा, सरकारी संस्थानों में पहली सफलता
ताजा मामला एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट (ACI) के कार्डियोलॉजी विभाग का है, जहाँ 68 वर्षीय एक महिला मरीज पर देश का छठा और किसी भी सरकारी चिकित्सा संस्थान का पहला ‘बैकमैन टोटल फिजियोलॉजिकल पेसिंग’ (Bachmann Total Physiological Pacing) सफलतापूर्वक किया गया है।
चिकित्सकों के अनुसार, यह जटिल प्रक्रिया अभी तक एम्स दिल्ली और पीजीआई चंडीगढ़ जैसे देश के शीर्ष सरकारी संस्थानों में भी नहीं की गई थी।
क्या है बैकमैन टोटल फिजियोलॉजिकल पेसिंग?
बैकमैन टोटल फिजियोलॉजिकल पेसिंग का अर्थ है हृदय की धड़कन को उसके पूरी तरह प्राकृतिक कंडक्शन सिस्टम (विद्युत संवहन प्रणाली) के माध्यम से नियंत्रित करना। इस तकनीक से मरीज को लंबे समय तक स्थिर, सुरक्षित और प्राकृतिक हृदय गति मिलती है।
सामान्य पेसिंग प्रक्रियाओं में वेंट्रिकुलर या लेफ्ट बंडल पेसिंग की जाती है, लेकिन यह मामला विशेष है क्योंकि इसमें राइट एट्रियम (दायाँ अलिंद) के बैकमैन बंडल में पेसमेकर की लीड लगाई गई है। इससे हृदय के दोनों चैम्बर्स (अलिंद और निलय) की धड़कनें प्राकृतिक विद्युत मार्ग से तालमेल के साथ संचालित होती हैं, जिससे हृदय का कार्य सामान्य बना रहता है।
जटिल रोगी और उपचार का निर्णय
ACI के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि रायपुर की यह मरीज सिक साइनस सिंड्रोम नामक गंभीर हृदय रोग से पीड़ित थीं। इस स्थिति में हृदय को धड़कन देने वाली कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और धड़कन अनियमित हो जाती है।
चूंकि मरीज का हृदय कमजोर था और एट्रियल रिदम (अलिंद की लय) भी अनियमित थी, इसलिए केवल वेंट्रिकुलर पेसिंग करने से हार्ट फेल्योर (हृदय गति रुकने) और तेज धड़कन का खतरा अधिक था।
इन्हीं जोखिमों को देखते हुए ACI की टीम ने बैकमैन टोटल फिजियोलॉजिकल पेसिंग का चुनौतीपूर्ण निर्णय लिया। यह तकनीक हृदय को उसके स्वाभाविक ढंग से धड़कने में मदद करती है और हार्ट फेल्योर का खतरा बेहद कम कर देती है।
उपचार प्रक्रिया और टीम
इस प्रक्रिया में, पहले लेफ्ट बंडल की स्थिति का इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी मैपिंग किया गया। इसके बाद, ठीक उसी तरह राइट एट्रियम के बैकमैन बंडल की मैपिंग करके पेसमेकर की लीड सफलतापूर्वक इंप्लांट की गई। इस तरह, पूरा पेसिंग सिस्टम प्राकृतिक तरीके से काम करना शुरू कर दिया।
उपचार करने वाली टीम में डॉ. स्मित श्रीवास्तव, डॉ. एस. के. शर्मा, डॉ. कुणाल ओस्तवाल, डॉ. अनुराग कुजूर, और डॉ. वेद प्रकाश शामिल थे। यह उपचार मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत किया गया, जिसमें मेडिको सोशल वर्कर खोगेंद्र साहू ने योजना का लाभ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने दी बधाई
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह सफल उपचार छत्तीसगढ़ की चिकित्सा सेवाओं के उच्च स्तर और निरंतर प्रगति का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल अब विश्वस्तरीय जटिल प्रक्रियाओं को भी सफलतापूर्वक अंजाम दे रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि यह जटिल उपचार प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे की मजबूती और चिकित्सकों की उत्कृष्ट क्षमता का परिचायक है। उन्होंने जोर दिया कि अब छत्तीसगढ़ के मरीजों को अत्याधुनिक कार्डियक प्रक्रियाओं के लिए महानगरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, और सरकार का लक्ष्य है कि हर नागरिक को मुफ्त और उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधाएँ मिलें।
यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022-23 में इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के सर्वाधिक मामलों के उपचार में ACI, देशभर में पाँचवें स्थान पर रहा था, जो संस्थान की उत्कृष्टता को दर्शाता है।
















