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ट्रंप की टैरिफ धमकी से सहमा शेयर बजार, सेंसेक्स 300 अंक टूटा, निफ्टी 24,700 के नीचे फिसला

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय शेयर बाजार की मंगलवार सुबह की शुरुआत गिरावट के साथ हुई. सेंसेक्स 200 से ज्यादा अंक गिर गया, जबकि निफ्टी 24,700 के नीचे फिसल गया. निवेशकों का सेंटिमेंट कमजोर दिखा, जिसकी एक बड़ी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से फिर से दी गई टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी है.

कमजोर शुरुआत के साथ खुले भारतीय बाजार

शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 209.92 अंक यानी 0.26% गिरकर 80,808.80 पर और निफ्टी 51.05 अंक यानी 0.21% की गिरावट के साथ 24,671.70 पर था.

सुबह 9:42 बजे बीएसई सेंसेक्स 326.21 अंक यानी 0.40% गिरकर 80,692.51 पर ट्रेड कर रहा था. वहीं, एनएसई निफ्टी 91.20 अंक यानी 0.37% की गिरावट के साथ 24,631.55 पर था.

ट्रंप के टैरिफ बयान से बाजार पर दबाव

ट्रंप ने सोमवार को Truth Social पर भारत के रूस से तेल खरीदने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि वो भारत पर टैरिफ बढ़ा सकते हैं. उन्होंने पिछली बार 25% टैरिफ और पेनल्टी की बात की थी. इस बार उन्होंने कोई निश्चित आंकड़ा नहीं बताया, लेकिन उनके तेवर सख्त दिखे. इस बयान से बाजार पर दबाव बना और निवेशकों के बीच घबराहट बढ़ गई.

शेयर बाजार में यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब बाजार सोमवार को मजबूत तेजी के साथ बंद हुआ था. कल बीएसई सेंसेक्स 418.81 अंक यानी 0.52% चढ़कर 81,018.72 पर बंद हुआ था, जबकि निफ्टी 157.40 अंक यानी 0.64% बढ़कर 24,722.75 पर बंद हुआ था.

अगस्त सीरीज की पहली वीकली एक्सपायरी, RBI MPC पर नजर

आज यानी मंगलवार का दिन इसलिए भी अहम है क्योंकि आज अगस्त सीरीज के लिए सेंसेक्स कॉन्ट्रैक्ट्स की पहली वीकली एक्सपायरी है. इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (RBI MPC Meeting) की बैठक का दूसरा दिन भी है, जिससे भी निवेशकों को रेपो रेट में कटौती के लेकर कुछ एहम फैसलों की उम्मीद है.

क्या आगे और गिर सकता है बाजार?

ट्रंप के बयान के बाद ग्लोबल स्तर पर भी अनिश्चितता बढ़ी है. ट्रंप के बयान ने एक बार फिर ग्लोबल पॉलिटिक्स और ट्रेड पर असर डाला है, जो सीधे तौर पर भारतीय निवेशकों को प्रभावित कर रहा है.

अगर अमेरिका और भारत के बीच व्यापार को लेकर टकराव बढ़ता है, तो आने वाले दिनों में बाजार पर और असर दिख सकता है. हालांकि, निवेशक अब RBI के फैसले पर भी नजर बनाए हुए हैं क्योंकि इससे यह साफ होगा कि ब्याज दरों को लेकर क्या फैसला लिया जाता है.

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