छत्तीसगढ़ शराब घोटाला : आईएएस निरंजन दास गिरफ्तार, 2500 करोड़ से अधिक के भ्रष्टाचार का खुलासा

रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी निरंजन दास को हिरासत में लिया है। जांच एजेंसी का आरोप है कि इस पूरे सिंडिकेट को चलाने में दास की “मुख्य भूमिका” थी और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से लगभग 18 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की।
गिरफ्तारी और मुख्य आरोप
ईडी की रायपुर जोनल यूनिट ने 19 दिसंबर को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत यह गिरफ्तारी की। जांच में सामने आया है कि निरंजन दास को आबकारी आयुक्त और विभाग के सचिव का अतिरिक्त प्रभार जानबूझकर दिया गया था ताकि वे इस सिंडिकेट के काम को आसान बना सकें।
एजेंसी के दावों के मुख्य बिंदु:
मासिक वसूली: दास पर आरोप है कि उन्होंने सिंडिकेट को बिना किसी रोक-टोक के काम करने देने के बदले 50 लाख रुपये प्रतिमाह की रिश्वत ली।
राजस्व की हानि: आबकारी आयुक्त के पद पर रहते हुए उन्होंने अपने संवैधानिक कर्तव्यों की अनदेखी की और सरकारी खजाने को नुकसान पहुँचाकर अवैध शराब की बिक्री को बढ़ावा दिया।
सिंडिकेट में भागीदारी: जब्त किए गए दस्तावेजों और डिजिटल रिकॉर्ड से यह स्पष्ट हुआ है कि वे इस पूरे भ्रष्टाचार तंत्र के सक्रिय सदस्य थे।
घोटाले की जड़ें और जांच का दायरा
यह मामला छत्तीसगढ़ के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी (FIR) पर आधारित है। जांच एजेंसियों का अनुमान है कि 2019 से 2022 के बीच हुए इस घोटाले से 2,500 करोड़ रुपये से लेकर 3,500 करोड़ रुपये तक की अवैध आय अर्जित की गई।
अन्य रसूखदार नाम भी घेरे में
इस मामले में अब तक कई हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। ईडी की सूची में पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा जैसे नाम शामिल हैं।
हाल ही में एसीबी/ईओडब्ल्यू द्वारा पेश की गई पूरक चार्जशीट में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल का भी उल्लेख है। उन पर आरोप है कि उन्होंने इस घोटाले से अपने हिस्से के तौर पर 200 से 250 करोड़ रुपये प्राप्त किए। जांच एजेंसियों का मानना है कि इस अपराध की कमाई को रियल एस्टेट और विभिन्न फर्जी कंपनियों (शेल कंपनियों) के माध्यम से निवेश किया गया था।
निष्कर्ष: जांच के अनुसार, तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान राज्य में बिकने वाली शराब की प्रत्येक बोतल से अवैध वसूली की गई। वर्तमान में 70 से अधिक व्यक्ति और कंपनियां इस मामले में आरोपी हैं, और मनी ट्रेल की जांच अभी भी जारी है।
















