छत्तीसगढ़

नक्सल मुक्त गांव की कहानी : नीम के पेड़ के नीचे लगती थी जन अदालत, 10 से ज्यादा को दी मौत की सजा

बस्तर :  नक्सलियों की क्रूरता की कहानियां गांव वालों की वो नीम का पेड़ जहां अक्सर नक्सली आकर अपनी अदालत लगाया नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर दस से ज्यादा को मौत के घाट उतार दिया करते थे। हरिभूमि-आईएनएच टीम गांव पहुंची। गांव की आबादी 17 सौ है और वोटर 14 सौ हैं। गांव तक जाने के लिए सड़क बन गई है लेकिन पंचायत के कामकाज के लिए पंचायत भवन नहीं है। गांव में सक्रिय 11 नक्सलियों ने जब हथियार डाल दिए तो ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर दिया। बड़े सेट्टी नक्सलियों का जंक्शन था। दंतेवाड़ा जिला के कटेकल्याण ब्लॉक से लगा यह सरहदी ग्राम पंचायत बडेसेट्टी राष्ट्रीय राजमार्ग से करीब 25 किलोमीटर के अंदर बसा हुआ है। इसलिए यह गांव नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। कभी नक्सली संगठन का कॉरीडोर था, अब नक्सल मुक्त गांव बड़ेसेट्टी हो गया है।

बड़ा बाजार बंद करा दिया 

बड़े सेट्टी में बड़ा बाजार लंगता था। वहां आसपास से बड़ी संख्या में लोग आकर जरूरत की चीजें खरीदते थे। नक्सली वहां उगाही करते और चले जाते। नक्सलियों का आतंक बढ़ता रहा और बाजार से लोग गायब होते रहे। धीरे-धीरे वह बंद हो गया। नक्सलियों ने सरकारी इमारतों को निशाना बनाया। उन्हें ध्वस्त कर दिया। खौफ ऐसा था कि ग्रामीणों को हाजिरी देनी पड़ती थी और गांव में कौन आया और कौन गया, इसकी जानकारी देनी जरूरी थी।

नक्सली कहते थे हम ही तुम्हारी सरकार 

नक्सली ग्रामीणों की बैठक लेकर कहते थे कि हम ही तुम्हारी सरकार हैं। हमारी नीतियों पर ही रहना और चलना होगा। जिन्होंने उनकी बात नहीं मानी उन्हें जन अदालत लगाकर मार दिया गया। ग्रामीण नीम के पेड़ की ओर इशारा कर बताते हैं-यहां दर्जनों बार जन अदालत लगाई गई। दस से ज्यादा को सजा दी गई… मौत की सजा । सबके सामने लोगों को मार दिया गया। नक्सली अक्सर लोगों को सजा देते थे।

दो दशक पहले छात्रावास स्कूल के भवनों को नक्सलियों ने ध्वस्त किया था 

ग्राम पंचायत बड़ेसेट्टी में कुल 7 प्राथमिक शालाएं व 9 आंगनबाड़ी केंद्र सहित एक 50 सीटर बालक छात्रावास एक 50 सीटर बालक आश्रम एवं माध्यमिक शाला संचालित है। वहीं एक छात्रावास निर्माणाधीन है। इस ग्राम पंचायत में पूर्व में संचालित 30 सीटर बालक छात्रावास एवं शिक्षक क्वार्टर को नक्सलियों ने ध्वस्त कर दिया था। वहीं सुरक्षा कैम्प स्थापित होने से पहले नक्सलियों ने इस ग्राम के अनेक ग्रामीणों की हत्याएं की थी। ग्राम पंचायत में निवासरत सभी ग्रामीणों के आय का साधन एक मात्र कृषि कार्य ही है। नक्सल मुक्त ग्राम पंचायत घोषित होने के बाद अब यह ग्राम पंचायत तेजी से विकास की ओर अग्रसर होगा ऐसा माना जा रहा है। ग्रामीणों का अधिकतर मांग सड़क पुल पुलिया है। गौर करने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि ग्रामीणों के 90 प्रतिशत मकान खपरे से बने हैं।

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