छत्तीसगढ़

GST विभाग में 200 अधिकारियों का ट्रांसफर, ओपी चौधरी की मेजर सर्जरी से मचा हड़कंप

रायपुर। छत्तीसगढ़ के वाणिज्यिक कर (GST) विभाग में शुक्रवार को बड़ा प्रशासनिक फेरबदल देखने को मिला। GST मंत्री ओपी चौधरी ने कड़े तेवर दिखाते हुए विभाग में ‘मेजर सर्जरी’ करते हुए एक साथ 200 अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया। यह संख्या विभाग की कुल स्ट्रेंथ का लगभग आधा हिस्सा है।

इस कार्रवाई से विभाग में खलबली मच गई है। कई अधिकारी ऐसे थे, जो सालों से एक ही जगह जमे बैठे थे, कुछ तो 18 साल से बिना बदलाव एक ही पद पर थे। कुछ अधिकारियों की नियुक्ति से लेकर अब तक गृह जिले में ही पोस्टिंग रही, जबकि नियमों के अनुसार यह वर्जित है।

क्या है खास:
    200 अधिकारियों का ट्रांसफर: दशकों से एक ही जगह जमे अफसरों की कुर्सी हिली।
    होम डिस्ट्रिक्ट पोस्टिंग खत्म: वर्षों से गृह जिले में तैनात अधिकारियों का तबादला।


    विभाग में पहली बार इतने बड़े स्तर पर फेरबदल: पहले 2-3 साल में 10-15 तबादले ही होते थे।

पहली बार सभी जिलों में GST कार्यालय

राज्य बनने के 25 साल बाद आखिरकार सभी जिलों में GST कार्यालय खोले गए हैं। अब तक 18 जिले ऐसे थे जहां GST का कोई दफ्तर नहीं था। व्यापारी वर्ग को रायपुर और बिलासपुर जैसे बड़े शहरों के चक्कर काटने पड़ते थे। अब दंतेवाड़ा, कोंडागांव, जशपुर, सक्ती और सारंगढ़ जैसे जिलों में भी दफ्तर खुल गए हैं और अधिकारियों की तैनाती हो चुकी है।

कलेक्शन बढ़ाने B.I.U और ऑडिट यूनिट का गठन

GST विभाग में राजस्व संग्रह में गुणात्मक सुधार के लिए नए सिरे से Business Intelligence Unit (BIU) और ऑडिट यूनिट बनाए गए हैं। इनमें विशेष रूप से प्रशिक्षित अधिकारियों को नियुक्त किया गया है ताकि टैक्स चोरी पर लगाम लगाई जा सके।

नियमों का रखा गया विशेष ध्यान
    पति-पत्नी दोनों सरकारी कर्मचारी होने पर एक ही जिले में पोस्टिंग दी गई।
    महिला अधिकारियों को निकटवर्ती जिलों में ही तबादला किया गया है।

क्यों ज़रूरी था ये बदलाव?

मंत्री ओपी चौधरी के अनुसार, “एक ही स्थान पर वर्षों तक पदस्थ अधिकारी व्यापारियों से व्यक्तिगत संबंध विकसित कर लेते हैं, जिससे विभाग की निष्पक्षता और पारदर्शिता प्रभावित होती है। अब यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नई सरकार सभी विभागों में ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।”

विभाग में यह इतिहास की सबसे बड़ी तबादला लिस्ट मानी जा रही है, जिसने लंबे समय से जमे अधिकारियों की ‘स्थायी पोस्टिंग संस्कृति’ को तोड़ा है। इससे स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ में अब ‘परिवर्तन’ सिर्फ नारा नहीं, एक्शन में भी नजर आ रहा है।

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