ज्योतिष

आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 02 जनवरी 2024
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – उत्तरायण
ऋतु – शिशिर
मास – पौष
पक्ष – कृष्ण
तिथि – षष्ठी शाम 05:10 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी सुबह 11:42 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
योग – सौभाग्य 03 जनवरी प्रातः 05:33 तक
राहु काल – शाम 03:25 से 04:45 तक
सूर्योदय – 07:21
सूर्यास्त – 06:06
दिशा शूल – उत्तर
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:35 से 06:28 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:17 से 01:10 तक

व्रत पर्व विवरण –
विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

आर्थिक सम्पन्नता हेतु

यदि आर्थिक सम्पन्नता चाहते हैं तो नित्य पीपल के वृक्ष में ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का उच्चारण करते हुए जल अवश्य दें और कम-से-कम ७ बार परिक्रमा करें। (रविवार को पीपल के स्पर्श से बचें ।)

पद्म पुराण में वेदव्यासजी ने कहा है : ‘पीपल का वृक्ष अत्यंत पूजनीय माना गया है। पीपल को रोपने, रक्षा करने, छूने तथा पूजन से वह क्रमशः धन, पुत्र, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करता है ।’
(पद्म पुराण, उत्तराखंड : 23.33)

गोमांस-सेवन का पर्यावरण व स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव

गोहत्या के कारण प्राकृतिक आपदाएँ (भूकम्प, बाढ़, अकाल, चक्रवात, सुनामी, महामारी) तो आती हैं, साथ ही गोमांस-भक्षण से पर्यावरण व शरीर- स्वास्थ्य पर भी घातक प्रभाव पड़ता है ।

‘यूनाइटेड नेशन्स एनवायरनमेंट प्रोग्राम’ (UNEP) ने कहा कि ‘ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के मामले में एक किलो गोमांस-सेवन १६० कि.मी. तक किसी मोटरवाहन का इस्तेमाल करने के बराबर है ।’ अनुसंधानों से पता चला है कि गोमांस खाने से ‘मैड काऊ डिसीज’ जैसी महाव्याधियाँ होती हैं । इतना ही नहीं, मस्तिष्क एवं चेतातंत्र में कम्पन पैदा होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अनेक मानसिक रोग शोध एवं विकृतियाँ पैदा होती हैं ।

मिर्गी

किसीको मिर्गी का दौरा हो अथवा तो मूर्च्छा हो या कोई कोमा में चला गया हो तो तुलसी के आधे चम्मच रस में १-२ बूँद शहद मिला के उस मिश्रण की १-२ बूँद उसकी नाक में डालो और ‘ॐ ऐं ऐं…’ इस प्रकार जप करते हुए सिर पर उँगलियों के अग्रभाग से तिल के तेल से हलकी-सी मालिश करो । मिर्गी के दौरे में आराम होगा, मूर्च्छा से, कोमा से व्यक्ति बाहर आ जायेगा ।”

नौकरी-धंधे की समस्या दूर करने हेतु

शनिवार एवं मंगलवार को पीपल के पेड़ में दूध, पानी व गुड़ मिलाकर चढ़ायें और प्रार्थना करें कि ‘भगवान ! आपने गीता में कहा है, ‘वृक्षों में पीपल मैं हूँ ।’ तो हमने आपके चरणों में अर्ध्य अर्पण किया है, इसे स्वीकार करें । मेरी नौकरी-धंधे की जो समस्या है वह दूर हो जाय ।’

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