छत्तीसगढ़

भूपेश सरकार बिना केंद्र की मदद से धान नहीं खरीद सकती : अजय चंद्राकर

रायपुर। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अजय चंद्राकर ने कांग्रेस के उस दावे को खोखला करार दिय जिसमें कांग्रेसी दावा कर रहे हैं कि वे बिना केंद्र के सहयोग के छत्तीसगढ़ में धान खरीद सकते हैं। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि यदि कांग्रेस और भूपेश में इतना दम है तो केंद्र के साथ किए गए उस एम. ओ.यू. को निरस्त कर दे जिसमें यह शर्त है कि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के उत्पदित धान मिलिंग करार राज्य सरकार से खरीदेगी। चंद्राकर ने सोमवार को प्रेस वार्ता में दावा किया कि भूपेश सरकार में इतना दम नहीं है कि वह मोदी सरकार के सहयोग के बिना छत्तीसगढ़ में धान खरीदी कर सके। उन्होंने कहा कि धान की कीमत का 80 से 90 प्रतिशत राशि मोदी सरकार देती है। इतना है कि राज्य जितना धान संग्रहित करती है उसका लगभग 85 प्रतिशत धान चावल के रूप में मोदी सरकार खरीदती है।

उन्होंने भूपेश सरकार पर धान खरीदी में काफी घालमेल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार छत्तीसगढ़ किसानों का पूरा का पूरा धान खरीदने के लिए तैयार है, पर भूपेश सरकार सहयोग नहीं कर रही है। पिछले खरीफ मौसम में प्रदेश सरकार को धान खरीदी के बाद 61 लाख मीट्रिक टन चावल भारतीय खाद्य निगम को जमा करना था। बाद में यह कोटा राज्य सरकार के अनुरोध पर घटाकर 58 लाख मीट्रिक टन किया गया लेकिन उसमे भी राज्य कि कांग्रेस सरकार ने  केवल 53 लाख मीट्रिक टन चावल ही जमा कराया गया है। जबकि सरकार दावा कर रही है कि छत्तीसगढ़  में 107 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है।

जो भूपेश सरकार 61 लाख मीट्रिक टन धान चावल देने का वादा कर केंद्र पूल में सिर्फ 53 लाख मीट्रिक टन चावल दे पाई है वह अब यह कह रही है कि 86 लाख मीट्रिक टन सेंट्रल पूलमें चावल जमा कर सकते हैं, जबकि राज्य सरकार ने 3 अगस्त 2023 को पत्र लिख कर सूचना दी कि अगले खरीफ मौसम में धान का उत्पादन 138 लाख मीट्रिक टन की तुलना में 136 लाख टन होगा। इसका मतलब है,छत्तीसगढ़ में पिछले साल की तुलना में 2 लाख टन धान का उत्पादन कम होगा। ऐसे में धान की खरीदी कैसे ज्यादा होगी,कि 86 लाख टन चावल केंद्रीय पूल में जमा करा सकेंगे। इससे सरकार द्वारा धान की खरीदी में घोटाला करने की साजिश दिखाई दे रही है। कांग्रेस की मानसिकता दिखाती है कि इस मामले में वह केवल सियासत करना चाहती है।

सरकार किस आधार पर 20 क्विंटल धान खरीदने का दावा कर रही है : चंद्राकर

चंद्राकर ने जानकारी देते हुए बताया कि भूपेश सरकार का कृषि विभाग केंद्रसरकार को आंकड़ों सहित बता रहा है कि प्रदेश में प्रति एकड़ धान का औसत उत्पादन जब 13-1क्विंटल है तो प्रदेश की सरकार किस आधार पर 20 क्विंटल धान खरीदने का दावा कर रही है। इससे स्पष्ट होता है कि अन्य राज्यों से अवैध तौर पर प्रदेश में धान कांग्रेस सरकार के कथित सहमति से बेचा जा रहा है। यह एक तरह से धान की तस्करी जैसा मामला है। उनका आरोप है कि चावल तस्करी से पैसा खाने की योजना कांग्रेस बना चुकी है। इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार ने धान खरीदी प्रक्रिया में बायोमेट्रिक पध्दति का उपयोग कर रही है। जब केंद्र सरकार द्वारा बायोमेट्रिक एंट्री की बात कही जा रहा है तो कांग्रेस की पूरी सरकार इस बात को लेकर भयभीत है। प्रदेश सरकार की मंशा बेईमानी करने की है। केंद्राय मंत्री  पीयूष गोयल के हवाले से उन्होंने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ का किसान चाहे कितना भी धान उत्पादित करे केंद्र सरकार प्रदेश के किसानों का दाना-दाना धान चाहे वह 100 लाख मीट्रिक टन चावल हो खरीदने के लिये तैयार है। पर भूपेश सरकार की इसकी कोई तैयारी नहीं है। इस पर न तो राज्य सरकार और न ही कांग्रेस की तरफ से न तो कोई जवाब आ रहा है और न ही धान खरीदी को लेकर कोई पुख्ता योजना है।

पूर्व मंत्री चंद्राकर ने कहा कि जिस चावल घोटाले का संकेत केंद्रीय मंत्री गोयल ने दिया है, उसे लेकर भाजपा लगातार मुखर रही है। कोरोना काल के 28 महीने में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, राज्य खाद्य सुरक्षा कानून और कोरोना काल का 5-5 किलो (कुल 15 किलो) चावल दिया जाना था, लेकिन मिला 10-10 किलो! अब यह 5 किलो चावल कहाँ गायब हुआ? कौन खा गया उस चावल को? क्या मुख्यमंत्री बघेल इसकी जाँच कराने की घोषणा करेंगे? मुख्यमंत्री ने स्वयं स्वीकार किया कि 13 हजार दुकानों में गड़बड़ी मिली। कभी कैरी फारवर्ड नहीं होने बात कहते हैं, कभी भौतिक सत्यापन नहीं हुआ कहते हैं, कभी श़ॉर्टेज पाने की बात करते हैं। 24 मार्च को इसकी जाँच रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी जानी थी, लेकिन षड्यंत्रपूर्वक 23 मार्च को ही सत्रावसान करा दिया गया। चंद्राकर ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि 13 हजार दुकानों में कितना शॉर्टेज पाया गया? वह कितने मूल्य का होता है? यदि चावल जमा करवाया गया तो कितनी मात्रा में जमा कराया गया? किन लोगों से जमा करवाया गया? अगर वसूली हुई तो कितनी नगद वसूली हुई और उसका मूल्यांकन किसने किया? 13 हजार दुकानों का सत्यापन कितने दिनों में हुआ? मुख्यमंत्री ने अपनी घोषणा के अनुरूप अनियमितता मिलने पर कितनी दुकानों पर एफआईआर दर्ज कराई गई?

अनाज की चोरी-डकैती प्रदेश सरकार के संरक्षण में चल रही है : चंद्राकर

उन्होंने कहा कि महादेव सट्टा के खिलाफ मुख्यमंत्री बघेल पुलिस प्रवक्ता की तरह सिलसिलेवार बयान देते हैं कि हमने इतनी एफआईआर की, इतने चालान पेश किए। जब मुख्यमंत्री महादेव सट्टा को लेकर बयान दे सकते हैं तो यह तो गरीबों के खाद्यान्न से जुड़ा विषय है। इस मामले में भी मुख्यमंत्री बघेल सिलसिलेवार जानकारी दें। अनाज की चोरी-डकैती प्रदेश सरकार के संरक्षण में चल रही है। मुख्यमंत्री राजनीतिक बयान दे रहे हैं कि कोई खरीदे या न खरीदे, हम अपने दम पर किसानों का धान 20 क्विंटल प्रति एकड़ खरीद लेंगे। प्रदेश सरकार ने कहा कि अपने दम पर कथित तौर पर जो धान कांग्रेस सरकार ने खरीदा है तो बताए कि कितना धान सड़ा है? उसका मूल्य कितना है? जिस न्यायालयीन प्रक्रिया की आड़ लेकर प्रदेश सरकार चावल के भ्रष्टाचार को ढँकने में लगी है, वह पीआईएल वस्तुत: धान उपार्जन के निष्पादन व प्रक्रिया को लेकर है, उसका चावल चोरी या उसमें हुए घोटाले से कोई संबंध नहीं है। केन्द्र सरकार तो प्रदेश के किसानों का दाना-दाना धान, चाहे वह 100 लाख मीट्रिक टन चावल हो, खरीदने को तैयार है। इस पर कांग्रेस की तरफ से न तो कोई जवाब आ रहा है और न ही धान खरीदी को लेकर कोई पुख्ता योजना है।

प्रेसवार्ता में पूर्व विधायक नंदे साहू, प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अनुराग अग्रवाल, प्रदेश प्रवक्ता अमित साहू मौजूद रहें।

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