सीजीएमएससी रीएजेंट सप्लाई घोटाला, मोक्षित कॉरपोरेशन का डायरेक्टर हुआ गिरफ्तार
रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (सीजीएमएससी) में हुए बहुचर्चित रीएजेंट सप्लाई घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) और एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मोक्षित कॉरपोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, चोपड़ा को एक दिन पहले हिरासत में लिया गया था और आज रायपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां ईओडब्ल्यू ने पूछताछ के लिए रिमांड की मांग की है।
एफआईआर में चौंकाने वाले खुलासे
ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में यह खुलासा हुआ है कि 2021 में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा हमर लैब की स्थापना के लिए आवश्यक उपकरणों और रीएजेंट की आपूर्ति के निर्देश दिए गए थे। हालांकि, स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक द्वारा उचित आकलन किए बिना ही इन सामग्रियों की खरीदी की गई।
सूत्रों के मुताबिक, आवश्यक उपकरणों और मशीनों की खरीदारी बिना किसी गहन विश्लेषण के कर दी गई। इसमें प्रशासनिक अनुमोदन भी प्राप्त नहीं किया गया, और 411 करोड़ रुपये की खरीदी शासन की जानकारी के बिना कर दी गई।
अनियमितताओं के प्रमुख बिंदु:
रीएजेंट की जरूरत के बिना खरीदी:
300 करोड़ रुपये के रीएजेंट उन स्वास्थ्य केंद्रों में भेज दिए गए, जहां जरूरी सीबीसी मशीनें ही उपलब्ध नहीं थीं।
भंडारण और रखरखाव में लापरवाही:
जिन रीएजेंट के लिए विशेष कोल्ड स्टोरेज की आवश्यकता थी, उन्हें बिना उचित भंडारण व्यवस्था के भेज दिया गया।
बजट और प्रशासनिक स्वीकृति के बिना आदेश:
पूरी प्रक्रिया में शासन को अंधेरे में रखा गया और 411 करोड़ रुपये की देनदारी सरकार पर डाल दी गई।
निर्विरोध निविदा प्रक्रिया:
निविदा प्रक्रिया में प्रतिस्पर्धा को सीमित करने के लिए स्पेसिफिकेशन को विशेष कंपनियों के अनुकूल बनाया गया।
मूल्य वृद्धि का घोटाला:
आमतौर पर 8.50 रुपये में मिलने वाली EDTA ट्यूब को 2,352 रुपये प्रति ट्यूब की दर से खरीदा गया।
मोक्षित कॉरपोरेशन और अधिकारियों की मिलीभगत
एफआईआर में यह भी उल्लेख किया गया है कि मोक्षित कॉरपोरेशन ने अन्य फर्मों जैसे सीबी कॉरपोरेशन, रिकार्डस एंड मेडिकेयर सिस्टम और श्री शारदा इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर निविदा प्रक्रिया में हेरफेर किया। इसके तहत उपकरणों और रीएजेंट की अत्यधिक कीमत पर खरीदारी की गई, जिससे सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।
भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत कार्रवाई
प्रारंभिक जांच के बाद, ईओडब्ल्यू और एसीबी ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 की धारा 13 (1)(ए) सहपठित धारा 13(2), 7(सी) और भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 120बी के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
आगे की कार्रवाई
ईओडब्ल्यू अब अन्य संबंधित अधिकारियों और कंपनियों के खिलाफ विस्तृत जांच कर रही है। संभावना है कि जल्द ही और गिरफ्तारियां की जाएंगी। इस घोटाले ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग में गहरे भ्रष्टाचार को उजागर किया है और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।