प्रदेश में रासायनिक खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध, किसानों को नैनो खाद के उपयोग के लिए किया जा रहा है जागरूक

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के आदेश पर, छत्तीसगढ़ के किसानों को पारंपरिक रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। साथ ही, डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) खाद की आपूर्ति में कमी और उत्पादन लागत को कम करने के लिए, किसानों को नैनो उर्वरकों के इस्तेमाल के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है।
भारत सरकार ने इस खरीफ सीजन के लिए प्रदेश को 14.62 लाख मीट्रिक टन विभिन्न रासायनिक खादों का लक्ष्य दिया था, जिसके मुकाबले सहकारी और निजी क्षेत्रों में कुल 15.64 लाख मीट्रिक टन खाद का भंडारण किया गया है। इसमें से 13.19 लाख मीट्रिक टन उर्वरक किसानों को वितरित किया जा चुका है। समितियों और निजी गोदामों में भी पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध है। किसान भी नैनो उर्वरकों का उत्साह से उपयोग कर रहे हैं।
उर्वरक वितरण की स्थिति
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, 25 अगस्त तक सहकारी और निजी क्षेत्रों में कुल 7.02 लाख मीट्रिक टन यूरिया का भंडारण हुआ था। इसमें से 6.38 लाख मीट्रिक टन यूरिया किसानों को दिया जा चुका है, जिसमें सहकारी क्षेत्र से 3.42 लाख मीट्रिक टन और निजी क्षेत्र से 2.96 लाख मीट्रिक टन यूरिया शामिल है। यह पिछले साल के खरीफ सीजन (2024) में वितरित किए गए 6.17 लाख मीट्रिक टन यूरिया से अधिक है।
नैनो उर्वरकों का भंडारण और वितरण
इस सीजन में, 2.91 लाख बोतल नैनो यूरिया (500 मि.ली.) और 2.38 लाख बोतल नैनो डीएपी (500 मि.ली.) का भंडारण किया गया था। इनमें से, 2.32 लाख बोतल नैनो यूरिया और 1.85 लाख बोतल नैनो डीएपी का वितरण किसानों को किया जा चुका है।
कृषि विभाग का मानना है कि वितरित किए गए नैनो यूरिया (2.32 लाख बोतल) से लगभग 2,617 मीट्रिक टन पारंपरिक यूरिया के बराबर लाभ हुआ है, जबकि नैनो डीएपी (1.85 लाख बोतल) से लगभग 4,628 मीट्रिक टन पारंपरिक डीएपी के बराबर फायदा हुआ है। यह दिखाता है कि नैनो उर्वरक पारंपरिक खादों पर निर्भरता कम करने और आपूर्ति को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
नैनो उर्वरकों के लाभ और जागरूकता अभियान
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, नैनो उर्वरकों के इस्तेमाल से पौधों को 80 से 90 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। ये खाद पर्यावरण के अनुकूल हैं और प्रदूषण को कम करते हैं। साथ ही, इनके उपयोग से परिवहन और भंडारण की लागत में भी कमी आती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि धान की एक एकड़ फसल के लिए 50 किलोग्राम ठोस डीएपी की जगह 25 किलोग्राम ठोस डीएपी और एक आधा लीटर नैनो डीएपी की बोतल पर्याप्त होती है।
कृषि विभाग के कर्मचारी किसानों को नैनो उर्वरकों के फायदे बताने के लिए गाँव-गाँव जाकर कृषि चौपालों और ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के माध्यम से डेमो और विस्तृत जानकारी दे रहे हैं। सहकारी समितियों में भी पंपलेट, बैनर और पोस्टर लगाकर इन उर्वरकों का प्रचार किया जा रहा है। कृषि विभाग के मैदानी कर्मचारी भी लगातार खेतों का दौरा करके किसानों को मार्गदर्शन दे रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप किसान आत्मविश्वास के साथ अपनी फसलों में नैनो उर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं।