सुरक्षाबलों और नक्सली मुठभेड़ में प्रधान आरक्षक शहीद, मुख्यमंत्री साय ने जताया शोक
रायपुर। नारायणपुर जिले में 3 दिसंबर को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में प्रधान आरक्षक बिरेंद्र कुमार सोरी वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी शहादत ने पूरे प्रदेश को शोकाकुल कर दिया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शहीद जवान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
सीएम साय ने कहा, “प्रधान आरक्षक बिरेंद्र कुमार सोरी ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनके इस अमूल्य त्याग को पूरा देश हमेशा याद रखेगा। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति और परिवार को इस अपार दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें।”
कब हुई मुठभेड़
3 दिसंबर को अबूझमाड़ के सोनपुर और कोहकामेटा के सीमावर्ती क्षेत्र में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) नारायणपुर के प्रधान आरक्षक वीरेंद्र कुमार सोरी शहीद हो गए। नारायणपुर जिले में नक्सल विरोधी सर्च अभियान के तहत डीआरजी और बीएसएफ की संयुक्त टीम 3 दिसंबर को सोनपुर और कोहकामेटा के सीमावर्ती इलाके में रवाना हुई थी। दोपहर करीब 1 बजे से इस इलाके में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच रुक-रुक कर कई बार मुठभेड़ हुई।
मुठभेड़ के दौरान 36 वर्षीय प्रधान आरक्षक बिरेंद्र कुमार सोरी ने वीरता से नक्सलियों का सामना किया, लेकिन गंभीर चोटों के कारण उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। प्रधान आरक्षक वीरेंद्र कुमार सोरी कांकेर जिले के नरहरपुर निवासी थे. उन्होंने 2010 में नारायणपुर जिला बल में आरक्षक के रूप में सेवा शुरू की थी। 2018 में नक्सल ऑपरेशन में अदम्य साहस और वीरता दिखाने के लिए उन्हें पदोन्नति देकर प्रधान आरक्षक बनाया गया, उनकी उम्र 36 वर्ष थी।
सुरक्षाबलों का ऑपरेशन जारी
सूत्रों के अनुसार, यह मुठभेड़ नारायणपुर के जंगलों में चल रहे नक्सल विरोधी अभियान के तहत हुई। सुरक्षाबल क्षेत्र में सक्रिय नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं।
प्रधान आरक्षक की शहादत पर सुरक्षाबलों ने संकल्प लिया है कि वे नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे। देशभक्तों के बलिदान को नमन करते हुए, राज्य के नागरिक और अधिकारी भी उनके परिजनों के साथ खड़े हैं।