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जेल से बाहर आयें मनीष सिसोदिया,बोले- तानाशाही से जेल में डाला, संविधान ने बचाया

नई दिल्ली (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति  कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार व धन शोधन मामलों में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता को जमानत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में मनीष सिसोदिया को जमानत दी है. दरअसल मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त को फैसला सुरक्षित रखा था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष को निचली अदालत फिर हाई कोर्ट जाने को कहा था. फिर सुप्रीम कोर्ट आने को. उन्होंने दोनों अदालत में याचिका दाखिल की थी. इसके बाद मनीष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. पहले आदेश के मुताबिक 6 से 8 महीने की समय सीमा बीत गई है. देरी के आधार पर जमनात की बात हमने पिछले साल अक्टूबर के आदेश में कही थी. इस मामले में ट्रिपल टेस्ट आड़े नहीं आएगा. क्योंकि यहां मामला ट्रॉयल के शुरू होने में देरी को लेकर है. अगर सिसोदिया को जमानत के लिए फिर से ट्रायल कोर्ट जाने को कहा जाता है तो ये न्याय का मखौल उड़ाना होगा.

जमानत के लिए रखी शर्तें

सुप्रीम कोर्ट ने 10 लाख के बेल बांड पर मनीष सिसोदिया को जमानत दी है. जमानत देते हुए कुछ शर्तें भी मनीष सिसोदिया के सामने रखी हैं. कोर्ट ने कहा कि आपको पासपोर्ट सरेंडर करना होगा. रिहाई के दौरान गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे.

इस साल फरवरी में हुई थी गिरफ्तारी

सिसोदिया को रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण व कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं में संलिप्तता के लिए 26 फरवरी, 2023 को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया था. 21 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देने से इन्कार कर दिया था. हाईकोर्ट  ने बेल रद्द करते हुए कहा था कि पद का दुरुपयोग किया था. बाहर आकर सबूत और गवाहों पर असर डाल सकते हैं.

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