छत्तीसगढ़धर्म कर्म

अष्टमी तिथि पर बड़ा मंदिर में प्राचीन स्फटिक मणि प्रतिमाओं का अभिषेक-पूजन

रायपुर। आदिनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर (लघु तीर्थ) मालवीय रोड में जिनालय की पार्श्वनाथ भगवान की बेदी के समक्ष प्रतिदिन चल रही आध्यात्मिक प्रयोगशाला शिविर के माध्यम से 8 दिसंबर को प्रातः 8.30 प्राचीन स्फटिक मणि प्रतिमाओं का जिन अभिषेक प्रासुक जल से किया गया। सभी उपस्थित धर्म प्रेमी बन्धुओ ने बताया कि भगवान पार्श्वनाथ की प्राचीन स्फटिक मणि प्रतिमाओं को जयकारों के साथ मंगलाष्टक एवं अभिषेक पाठ पढ़ कर पाण्डुक शीला में विराजमान किया गया। रजत कलशों से सभी ने भगवान पार्श्वनाथ की प्राचीन स्फटिक मणि प्रतिमाओं का अभिषेक किया। अभिषेक उपरांत रिद्धि सिद्धि सुख शांति प्रदाता चमत्कारिक शांति धारा की गई जिसे करने का सौभाग्य श्रेयश जैन बालू को प्राप्त हुआ।

आज की शांति धारा का शुद्ध वाचन कृष जैन द्वारा किया गया। तत्पश्चात सभी ने भगवान की आरती कर अष्ट द्रव्यों से निर्मित अर्घ्य चढ़ा कर पूजन किया अंत में शांति पाठ पढ़ कर पूजन विसर्जन किया गया। आज विशेष रूप से श्रेयश जैन बालू,प्रणीत जैन,राजेंद्र उमाठे, दिलीप जैन,निकेश जैन,कृष जैन, श्रुत जैन के साथ महिलाए उपस्थित थी।

जैन धर्म में अष्टमी को अष्ट कर्म नाशिनी माना जाता है : श्रेयश जैन बालू

श्रेयश जैन बालू ने बताया कि जैन धर्म में अष्टमी तिथि जैन धर्म महत्पूर्ण मानी जाती है। जिसके बारे मुनि प्रमाण सागर महाराज ने इसको व्याख्या कुछ इस प्रकार की है कि अष्टमी को अष्ट कर्म के नाश का प्रतीक माना जाता है और चतुर्दशी को चौदह गुणस्थानों से पार उतरने का माध्यम भी माना जाता है।

इसमें एक विशेष बात जो मैंने बहुत पहले एक शोध लेख में पढ़ा था। जैसे इस धरती पर दो तिहाई जल भाग और एक तिहाई स्थल भाग है वैसे ही हमारे शरीर के भीतर भी दो-तिहाई ठोस तत्व और एक-तिहाई जल तत्व है। आप मेडिकल से जुड़े इस बात को अच्छी तरीके से समझते होंगे। उन्होंने इस लेख मे लिखा कि जिस प्रकार चंद्रमा की कलाओं से समुद्र का जल स्तर घटता बढ़ता है वैसे ही चंद्रमा की कलाओं से हमारा मन प्रभावित होता और हमारे शरीर के अंदर रहने वाले जल तत्व में हीन अधिकता होती है। उसमें एक डायग्राम बनाया हुवा था – अष्टमी, चतुर्दशी, पंचमी, एकादश और प्रन्दहस। इन तिथीओंमे हमारे शरीर के जल तत्व की उफान की बात बताएं। और कहा कि यह अमेरिका में शोध हुवा व अमेरिका में सर्दी के शिकार लोग बहुत ज्यादा है। तो जो सर्दी से ग्रसित लोग हैं उनसे बचने के लिए कहा गया कि इन दिनों में यदि आप उपवास रखें तो आप सर्दी पर विजय प्राप्त कर सकते है। माने इन दिनों आपके शरीर में जल तत्व एक्स्ट्रा है। तो मैंने इसका सार निकाला कि इसका मतलब इन तिथियों में अगर आप उपवास करते हैं तो आप की गर्मी कम बढ़ेगी पानी की कमी कम होगी। हमारे आचार्योंने एक ऐसी व्यवस्था की कि हम साधना अपनी करें तो किन तिथियों में करें? तो ऐसी स्थितिओं में करो जिससे साधना भी हो जाए और शरीर पर उसका दुष्प्रभाव भी ना पड़े।

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