कांग्रेस में गहराया विवाद : रविंद्र चौबे के बयान पर हाईकमान तक पहुंची शिकायत

रायपुर । छत्तीसगढ़ कांग्रेस के भीतर खींचतान और तेज हो गई है। पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता रवींद्र चौबे ने भूपेश बघेल को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने की मांग की है, जिससे सियासी हलचल मच गई है। इस बयान के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष (पीसीसी) दीपक बैज ने हाईकमान से शिकायत की है। सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही कांग्रेस अनुशासन समिति की बैठक हो सकती है, जिसमें चौबे के बयान पर चर्चा होने की संभावना है।
भूपेश बघेल के समर्थन में चौबे
भूपेश बघेल के जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में रवींद्र चौबे ने कहा था कि प्रदेश के लोग चाहते हैं कि बघेल ही कांग्रेस की कमान संभालें। उन्होंने दावा किया कि उनके नेतृत्व में 2028 में कांग्रेस फिर से सरकार बना सकती है। चौबे ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से बघेल का साथ देने की अपील करते हुए कहा कि वे ही ऐसे नेता हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ खुलकर बोलते हैं। उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई पर निशाना साधते हुए कहा, “ईडी सुन ले, भूपेश बघेल शेर हैं, वे डरने वाले नेता नहीं हैं।”
पायलट से शिकायत
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने चौबे के बयान की शिकायत पार्टी के प्रभारी सचिन पायलट से भी की है। इन नेताओं का आरोप है कि वरिष्ठ नेता संगठन में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, इस मामले पर कोई भी नेता सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहने से बच रहा है। वहीं, पीसीसी चीफ दीपक बैज ने चौबे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “वे महाज्ञानी नेता हैं, मुझे उनके बयान पर कोई टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं है।”
नेतृत्व पर सवाल
चौबे का यह बयान कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। इस समय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज हैं, लेकिन चौबे का भूपेश बघेल के नेतृत्व पर जोर देना संगठन में मतभेद का संकेत माना जा रहा है।
विपक्ष का हमला
इस घटनाक्रम पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी में आपसी झगड़े कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के नेता आपस में ही लड़ते रहते हैं। इसी वजह से कार्यकर्ताओं और जनता का उन पर से भरोसा उठ गया है। भूपेश बघेल के नेतृत्व में ही कांग्रेस लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव हार चुकी है। जब जनता और पार्टी को ही उन पर भरोसा नहीं है, तो रवींद्र चौबे के भरोसे से कुछ नहीं होगा।”