छत्तीसगढ़

सास की संपत्ति पर बहू अपना हक नहीं जमा सकती : डॉ. किरणमयी नायक

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक व सदस्य डॉ. अनीता रावटे, श्रीमती अर्चना उपाध्याय, श्रीमती बालो बघेल ने मंगलवार को महिला आयोग कार्यालय में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर जनसुनवाई की। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज प्रदेश स्तर की 190 वीं सुनवाई हुई। रायपुर जिले में आयोजित जन सुनवाई में कुल 39 प्रकरणों पर सुनवाई की गई।

सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका जो कि 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला है। जिसने अपने बड़े बेटे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है कि 50 वर्ष पुराने दुकान एवं दो गोदाम में उनके बड़े बेटे ने कब्जा कर रखा है जबकि उनके दोनों बेटों का उस दुकान पर हक है। दुकान में लेथ मशीन का काम किया जाता है, जो दुकान उनके पति द्वारा खोली गई थी जिस पर आवेदिका के पति की मृत्यु के पश्चात् उनके बड़े बेटे द्वारा डरा-धमकाकर पूर्ण रूप से कब्जा कर लिया गया है। आवेदिका ने यह भी कहा कि उनके छोटे बेटे के पास कोई रोजगार नहीं है। दोनों बेटो को संपत्ति में समान हक दिये जाने हेतु आवेदिका ने कथन किया है। आयोग की समझाइश पर अनावेदक ने सहमति दी है। आयोग द्वारा काउंसलर एवं अधिवक्ता की टीम गठित किया गया है जो दिनांक 15.07.2023 को स्थल निरीक्षण एवं दस्तावेज की जाच कर अपनी रिपोर्ट आयोग के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। तत्पश्चात् आगे की कार्यवाही की जायेगी।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपने ससुर की संपत्ति में हिस्से के लिए आवेदन प्रस्तुत की। है। आवेदिका को उसके पति की मृत्यु के पश्चात् 17 लाख रूपये मुआवजा के रूप में मिला। है और आवेदिका के पति ने अपनी कमाई से एक प्लाट खरीदा था यह भी आवेदिका के पास है। अनावेदक क्र. 1 (ससुर) कैंसर से पीड़ित है और आवेदिका का जेठ उसका ईलाज करवा रहा है। आवेदिका के ससुर ने अपना एक मकान आवेदिका को दे दिया है और दूसरा मकान उसकी पत्नी (आवेदिका की सास) के नाम पर है, जिसका उपयोग अपने विवेक से कर सकती है परन्तु उसमें आवेदिका अपना हक नहीं जता सकती। उभय पक्षों को सुनने के बाद प्रकरण जारी रखने का कोई औचित्य नहीं होने से आयोग ने प्रकरण नस्तीबद्ध किया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका की पुत्री का डॉक्टरों द्वारा गलत तरीके से ईलाज किये जाने से मृत्यु होने से संबंधित शिकायत किया गया था। पिछली सुनवाई में आवेदिका ने मेडिकल बोर्ड कमेटी गठित किये जाने हेतु एक डॉक्टर का नाम दिया था, वह आज उपस्थित हुआ। परन्तु उन्होंने मेडिकल बोर्ड का सदस्य बनने हेतु असहमति जताई। इस स्तर पर आवेदिका को आयोग ने निर्देश दिया कि वह एक विस्तृत बयान शपथपत्र के साथ आयोग की सदस्य को प्रस्तुत करें। शपथ पत्र मिलने के बाद अनावेदक अनुपस्थित होता है. आयोग द्वारा अंतिम निर्णय लिया जायेगा।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक प्रभारी प्राचार्य के विरूद्ध कार्यस्थल पर प्रताडित किये जाने से संबंधित शिकायत की थी। अनावेदक ने 2 जांच प्रतिवेदन की प्रति प्रस्तुत की है। आवेदिका ने टेलीफोनिक सूचना पर उपस्थित नहीं होने हेतु सूचना दी है। आवेदिका को नोटिस जारी किया जावे आगामी सुनवाई में उपस्थित नहीं होती है तो प्रकरण नस्तीबद्ध किया जावेगा।एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के पति की मृत्यु होने के बाद अनावेदक क्र. 1 (ससुर) ने आवेदिका एवं उसकी दो बेटियों को घर से निकाल दिया है। आवेदिका के ससुर ने यह स्वीकार किया कि 5 हजार रूपये भरण-पोषण दोनों बेटियों के लिए देगा। दोनों पक्षों को आयोग ने निर्देश दिया कि संपत्ति का दस्तावेज आयोग में प्रस्तुत करें ताकि संपत्ति का बंटवारा में आवेदिका को अपना हक प्राप्त हो सके।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि वह पिछले 9 वर्षों से स्कूल में अस्थाई रूप से कार्यरत है और उसे वेतन भी मिल रहा है। अनावेदक क्र. 2 संयुक्त संचालक लोक शिक्षण शिक्षा विभाग ने आयोग में प्रस्ताव दिया कि जिस स्थान पर पद रिक्त है वहां आवेदिका को अटैच कर सकते है। क्योंकि शासन द्वारा स्थानांतरण पर रोक लगाया गया है, जैसे ही रोक हटती है उनका पदस्थापना कर सकते है. इस पर आवेदिका ने अपनी सहमति जताई। आयोग में दिये गये प्रस्ताव के आधार पर आयोग ने अनुशंसा किया है कि आवेदिका को रिक्त पद पर अटैच कर दिया जाएगा। जिसकी सूचना मिलने के उपरांत आयोग द्वारा प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाएगा।

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