छत्तीसगढ़

भाजपा की आपसी गुटबाजी के कारण राइस मिलरों से गतिरोध : कांग्रेस

रायपुर। प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि खरीदी केंद्रों में जगह की कमी के कारण राज्य में अघोषित तौर पर धान खरीदी बंद की जा चुकी है। मैं मुख्यमंत्री को चुनौती देता हूं प्रदेश के किसी भी 10 धान खरीदी केंद्र चले देख ले धान खरीदी बंद है या नहीं। रायपुर, बेमेतरा, कांकेर, जांजगीर-चांपा, दुर्ग, कवर्धा के अनेकों खरीदी केंद्रों पर खरीदी बंद होने की सूचना चस्पा कर दी गयी है।

दीपक बैज ने कहा कि प्रदेश में दो दिनों से सबसे बड़ी खबर राईस मिलरों और सरकार के बीच गतिरोध की है। एक वरिष्ठ भाजपा नेता, जो सांसद भी है उनके परिवार के राईस मिल में छापा मारा गया, इनके आपसी गुटबाजी का नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा, सरकार के वित्त मंत्री को किसानों की चिंता नहीं है। यह गतिरोध सरकार के द्वारा जानबूझकर पैदा किया गया है। आप किसी से काम करवा लेंगे उसका भुगतान नहीं करेंगे और मनमाने रेट पर काम करवाने दबाव बनायेंगे तो कैसे चलेगा? वह भी इस समय जब धान खरीदी चल रही है तब यह टकराव क्यों हो रहा है? मिलरों से अनुबंध, धान का उठाव, परिवहन, भुगतान की राशि की व्यवस्था, बारदाना की व्यवस्था सरकार की जवाबदारी है। यह व्यवस्थायें नहीं होना सरकार का फेलियर है। मिलर धान नहीं उठा रहे, बारदाना नहीं मिल रहा, भुगतान नहीं हो रहा है तो यह सरकार की विफलता है या सरकार जानबूझकर इन व्यवस्थाओं को पूरा नहीं कर रही है ताकि कम धान खरीदना पड़े। सरकार धान खरीदी नहीं करना चाह रही इसीलिये सोची समझी साजिश के तहत राईस मिलरों से अनुबंध नहीं किया गया ताकि कम धान खरीदी करना पड़े और कम खरीदी का पूरा ठीकरा राईस मिलरों पर फोड़ा जा सके। कांग्रेस सरकार के दौरान कस्टम मिलिंग के लिए 120 रुपए की दर से भुगतान होता रहा है भाजपा की सरकार ने उस दर में 35 प्रतिशत की कटौती कर दी है जबकि डीजल के दाम बढ़े है बिजली बिल में 17 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है और ट्रांसपोर्टिंग चार्ज, मजदूरी के दर में बढ़ोतरी हुई है ऐसे में मिलर्स घाटा में कस्टम मिलिंग कैसे करेंगे? बड़ा सवाल यह है कि यह झगड़ा धान खरीदी के समय ही क्यों खोला गया?

उन्होंने कहा कि 14 नवंबर को धान खरीदी शुरू हुई उस दिन से लेकर आज तक किसान टोकन, बारदाना की कमी, धान तौलाई में गड़बड़ी और प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदने के साथ एक मुश्त 3100 रु प्रति क्विंटल  की दर से भुगतान की मांग को लेकर कई बार आंदोलन कर चुके हैं विपक्ष लगातार धान खरीदी में अव्यवस्था को सुधारने की मांग कर रहा है। इसके बावजूद सरकार हठधर्मिता अपनाई हुई है रोज नए-नए समस्या उत्पन्न करके धान खरीदी में बाधा उत्पन्न कर रही है। सोसायटियों में बारदाने की कमी है, जिससे किसानों को धान बेचने में परेशान होना पड़ रहा। सरकार ने कहा है कि 50 प्रतिशत नये, 50 प्रतिशत पुराने बारदानों का उपयोग किया जाये। 50 प्रतिशत पुराने बारदाने समितियों में पहुंचे ही नहीं है, जिसके कारण धान खरीदी बाधित हो रही है। पुराने बारदाने फटे हुये है जिसमें धान भरा ही नहीं जा सकता, किसानों से कहा जा रहा 50 प्रतिशत बारदानो की व्यवस्था स्वयं करो उसका भुगतान किया जायेगा, लेकिन किसानों के बारदाने का पैसा भी नहीं मिल रहा।

दीपक बैज ने कहा कि मोदी की गारंटी में वादा किया था किसानों को एकमुश्त भुगतान किया जायेगा तथा ग्राम पंचायतों में काउंटर बनाकर भुगतान होगा। मुख्यमंत्री बताये कितने गांव में धान के भुगतान के लिये काउंटर बनाये गये है। सरकार ने यह घोषणा किया था कि 72 घंटे में किसानों के खाते में पैसा आयेगा, लेकिन जो लोग धान बेच चुके है, उनके खाते में रकम हफ्तों तक नहीं आया है, जो रकम आ रहा है वह एकमुश्त 3100 नहीं है, सिर्फ 2300 रू. प्रति क्विंटल ही आ रहा है। (जो समर्थन मूल्य है उतना) भाजपा ने 3100 रू. एकमुश्त देने का वादा किया था।

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