‘दीदी के गोठ’ रेडियो कार्यक्रम: ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण का नया कदम

रायपुर। छत्तीसगढ़ में ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने एक नई पहल की है। ‘दीदी के गोठ’ नाम का एक विशेष रेडियो कार्यक्रम 31 अगस्त को दोपहर 12:15 बजे आकाशवाणी रायपुर और राज्य के सभी केंद्रों से एक साथ प्रसारित किया गया। इस कार्यक्रम को पूरे प्रदेश में बड़े उत्साह के साथ सुना गया।
इस कार्यक्रम के ज़रिए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री और उप मुख्यमंत्री एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री विजय शर्मा ने अपनी शुभकामनाएं और मार्गदर्शन दिया, जो महिलाओं के लिए बहुत प्रेरणादायक रहा।
उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने कवर्धा जिले में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं (दीदियों) और अधिकारियों के साथ इस कार्यक्रम को सुना और इसकी सफलता पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस मंच पर जिन सफल महिलाओं की कहानियाँ साझा की जा रही हैं, वे दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी।
विभागीय अधिकारियों ने भी अलग-अलग जिलों में जाकर सामूहिक रूप से इस कार्यक्रम को सुना। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री भीम सिंह गरियाबंद, विशेष सचिव श्री धर्मेश साहू जांजगीर, प्रधानमंत्री आवास योजना के संचालक और मनरेगा आयुक्त श्री तारन प्रकाश सिन्हा धमतरी और पंचायत विभाग की संचालक श्रीमती प्रियंका महोबिया दुर्ग जिले में समूह की महिलाओं के बीच बैठकर कार्यक्रम में शामिल हुईं और उनका हौसला बढ़ाया। रायपुर के सेरीखेड़ी स्थित समुदाय प्रबंधन प्रशिक्षण संस्थान में भी कार्यक्रम का प्रसारण हुआ, जहाँ बिहान मिशन संचालक श्री अश्विनी देवांगन और संयुक्त मिशन संचालक श्री आर.के. झा समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
‘दीदी के गोठ’ का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को सरकार की योजनाओं से जोड़ना और उन्हें आत्मनिर्भर तथा स्वावलंबी बनाना है। इसके तहत स्वयं सहायता समूहों की कामयाब महिलाओं की कहानियाँ सुनाई जा रही हैं, ताकि दूसरी महिलाएँ भी स्वरोजगार और आत्मविश्वास की राह पर आगे बढ़ सकें।
इस विशेष कार्यक्रम को राज्य के 33 जिलों, 146 विकासखंडों और 580 संकुल संगठनों में एक साथ सुना गया। लाखों महिलाएँ इस कार्यक्रम से जुड़ीं और पूरे छत्तीसगढ़ में इसे लेकर काफ़ी उत्साह देखने को मिला। ‘दीदी के गोठ’ सिर्फ़ एक रेडियो कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण महिलाओं के संघर्ष, साहस और सफलता को दर्शाकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक मजबूत मंच भी है।