करोड़ों के घोटाले पर बोलकर बुरी तरह फंस गए दिग्विजय सिंह, विजय शर्मा ने ली चुटकी

रायपुर : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एक बार फिर अपने ‘बोल’ से फंस गए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर छत्तीसगढ़ के करोड़ों के डीएमऍफ़ घोटाले को लेकर एक पोस्ट किया है. इस पोस्ट में डीएमऍफ़ स्कैम के लिए खर्च के नियम बदलने का जिक्र करती हुई एक अखबार की रिपोर्ट है. अब इस पोस्ट को लेकर छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने चुटकी ली है.
बुरी तरह फंसे दिग्विजय सिंह
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की है. यह पोस्ट छत्तीसगढ़ के करोड़ों के डीएमऍफ़ घोटाले को लेकर है. उन्होंने एक अखबार की कटिंग शेयर की है, जिसमें डीएमऍफ़ घोटाला के तहत घूस लेने के लिए खर्च के नियम बदलने का जिक्र किया गया है.
न्यूजपेपर की खबर के कटआउट को शेयर करते हुए दिग्विजय सिंह ने लिखा- ‘छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का व्यवस्थित घोटाला सामने आया है. रिश्वत लेने के लिए नए नियम बनाए गए. कलेक्टर साहब 57 करोड़ से ज़्यादा की रिश्वत ले रहे हैं , आदिवासियों के विकास और वैभव की कहानी इसी तरह लिखी जा रही है. सरकार भ्रष्टाचार के बारे में कुछ नहीं जानती; सरकार का पूरा ध्यान नफ़रत की खेती और अंग्रेज़ी को शर्मिन्दा करने पर है.’
डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने ली चुटकी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की इस पोस्ट को लेकर छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने चुटकी ली है. उन्होंने दिग्विजय सिंह के पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा- ‘दिग्विजय जी आपने समाचार की हेडिंग पढ़ी, समाचार नहीं पढ़ा ! इस लूट और घोटाले का ‘श्रेय’ पूर्व मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी को ही जाता है उनकी पूर्ववर्ती सरकार में ही ये घोटाला हुआ था. भाजपा सरकार में इन सभी पर कड़ी कार्रवाई हुई – कोई जेल में है तो कोई जमानत पर। लोकतंत्र के सजग प्रहरी होने के नाते आपको साधुवाद.’
क्या है डीएमऍफ़ घोटाला?
ईओडब्लू के आरोपों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 2021-22 और 2022-23 के वित्तीय वर्ष के दौरान जिला खनिज संस्थान (डीएमऍफ़) में करीब 75 करोड़ का स्कैम हुआ. उस समय छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी. उस समय कोरबा में डीएमऍफ़ ट्रस्ट के तहत टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में दिया गया है. वहीं, प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है.
ईओडब्लू ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है. इस केस में यह तथ्य निकल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गईं है. टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया.
ईडी की जांच से पता चला कि ठेकेदारों ने अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं को भारी मात्रा में कमीशन का भुगतान किया है, जो कि कांट्रैक्ट का 25% से 40% तक था. रिश्वत के लिए दी गई रकम की एंट्री विक्रेताओं ने आवासीय (अकोमोडेशन) के रूप में की थी.