छत्तीसगढ़

ईडी ने चैतन्य बघेल को कोर्ट में किया पेश, मांगी 7 दिन की रिमांड

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र जारी है, लेकिन असली हलचल विधानसभा से ज्यादा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर स्थित आवास पर नजर आई, जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी राज्य में चल रहे बहुचर्चित शराब घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है, जिसकी जांच में यह अब तक की सबसे हाई-प्रोफाइल कार्रवाई है।

ईडी ने पहले चैतन्य को हिरासत में लिया था, लेकिन दोपहर उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, जहां 7 दिन की कस्टोडियल रिमांड मांगी गई है।

2100 करोड़ के शराब घोटाले की जांच में गिरफ्तारी

ईडी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में 2100 करोड़ रुपए से अधिक के शराब सिंडिकेट का संचालन किया जा रहा था, जिसमें अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, कवासी लखमा सहित कई प्रमुख नाम शामिल हैं।

अब चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी से संकेत मिल रहे हैं कि जांच की दिशा सीधे राजनीतिक परिवारों की ओर बढ़ रही है। बता दें कि पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा पहले ही इस घोटाले में गिरफ्तार होकर जेल में बंद हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज, चरणदास महंत का तीखा ट्वीट

छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने ईडी की कार्रवाई को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा:

“सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग बंद हो!
आज जब सरकारी एजेंसियों का उपयोग जनता की सेवा की बजाय
राजनीतिक विरोधियों को डराने, दबाने और बदनाम करने में किया जा रहा है,
तब सवाल उठता है – क्या यही लोकतंत्र है?”

महंत ने इसे लोकतांत्रिक संस्थाओं का अपमान बताते हुए न्याय, पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है।

ईडी दफ्तर के बाहर सुरक्षा बढ़ाई गई

गिरफ्तारी के बाद रायपुर स्थित ईडी कार्यालय के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए पुलिस बल तैनात किया गया है।

अब क्या आगे होगा?

ईडी की ओर से रिमांड के दौरान पूछताछ में शराब सिंडिकेट के भीतर की कड़ियां तलाशने की कोशिश की जाएगी।

राजनीतिक दबाव और सड़कों पर विरोध के बीच, इस गिरफ्तारी का असर छत्तीसगढ़ की राजनीति पर निश्चित रूप से दिखाई देगा।

एक तरफ विधानसभा सत्र चल रहा है, दूसरी तरफ पूर्व सीएम के बेटे की गिरफ्तारी — छत्तीसगढ़ की राजनीति में तूफान आ चुका है, और इसके बाद की हर कानूनी और सियासी चाल अब बेहद अहम मानी जा रही है।

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