छत्तीसगढ़

गंगा बाई ने ई-रिक्शा खरीदकर बदली परिवार की तस्वीर

संकल्प से आत्मनिर्भरता तक : महिला समूह की प्रेरक गाथा

रायपुर। जिला मुख्यालय महासमुंद के वार्ड क्रमांक 11 की रहने वाली श्रीमती गंगा बाई निर्मलकर ने यह सिद्ध कर दिखाया कि मजबूत इच्छाशक्ति, सही मार्गदर्शन और सरकारी योजनाओं का उचित उपयोग किसी भी परिवार को आत्मनिर्भर बना सकता है। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित 10 महिलाओं के एक स्वयं सहायता समूह को शासन की योजनाओं के तहत बैंक से 3 लाख रुपये का ऋण दिलवाया गया। इस समूह की एक सदस्य श्रीमती गंगा बाई ने इस राशि का उपयोग अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में किया।

गंगा बाई के पति श्री दूजराम निर्मलकर ड्राय क्लीनिंग का कार्य करते थे और पुराने टू-व्हीलर से घर-घर कपड़े एकत्र करते थे। बरसात और धूल के कारण कपड़ों की गुणवत्ता पर असर पड़ता था, जिससे ग्राहकों की असंतुष्टि से आमदनी में कमी जैसी समस्याएं सामने आती थीं। इस चुनौती को अवसर में बदलते हुए श्रीमती गंगा बाई ने महिला समूह के माध्यम से ऋण लेकर एक इलेक्ट्रॉनिक ई-रिक्शा खरीदा। अब वे इसी ई-रिक्शा के माध्यम से सुरक्षित रूप से कपड़े एकत्र करती हैं। इससे न केवल कपड़ों की गुणवत्ता बनी रहती है, बल्कि समय की भी बचत होती है। बचे हुए समय में श्री दूजराम अब स्कूलों के बच्चों और शिक्षकों को स्कूल लाने-ले जाने का कार्य करते हैं, जिससे उनकी मासिक आय 5 हज़ार से 6 हज़ार तक हो गई है। वहीं गंगा बाई अपने ड्रायक्लीन और प्रेस के काम से 7 से 8 हज़ार तक मासिक कमा रही हैं।

यह दंपति आज आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुका है। वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी समूह से जुड़ने और योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। उन्हें प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, अटल पेंशन योजना और स्वास्थ्य बीमा जैसी योजनाओं का भी लाभ मिला है। दूजराम निर्मलकर का कहना है की मेरी पत्नी ने महिला समूह से जुड़कर परिवार की स्थिति को सशक्त किया। हर महिला को ऐसा प्रयास करना चाहिए। यही सच्ची आत्मनिर्भरता है।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button