छत्तीसगढ़

कम उम्र में शादी के नाम पर भागने से बचें लड़कियां : डॉ. किरणमयी नायक

दुर्ग। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने सोमवार को जिला पंचायत सभा कक्ष, जिला-दुर्ग (छ.ग.) में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर जनसुनवाई की। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोज की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज दुर्ग जिला की 222 वी एवं जिला स्तर पर 09 वीं सुनवाई हुई। दुर्ग जिले में आयोजित जन सुनवाई में कुल 35 प्रकरणों पर सुनवाई की गई। आज की सुनवाई में कुल 17 प्रकरण नस्तीबद्ध किए गए। 10 प्रकरण रायपुर स्थानांतरित किए गए।

आज के सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में दोनों पक्षकार डॉक्टर है। आवेदिका ने मानसिक प्रताडना प्रकरण दर्ज कराया था और इस प्रकरण में दोनों पक्षकारों ने एक दुसरे के खिलाफ बहुत सारे दस्तावेज प्रस्तुत किए। आयोग ने दोनो पक्षो को आगामी सुनवाई रायपुर में एक दुसरे के दस्तावेजों के जवाब सहित उपस्थित होने के लिए कहा ताकि दोनों पक्षो का प्रकरण का निराकरण किया जा सके।

एक अन्य प्रकारण में आवेदिका ने तहसीलदार खरोरा के समक्ष खाता बटवारा के लिए प्रकरण प्रस्तुत किया गया था जिसे खारिज कर दिया गया था। उसके अपील प्रस्तुत किए बिना महिला आयोग में प्रकरण प्रस्तुत किया गया। आवेदिका को समझाइश दिया गया कि अपना प्रकरण अपील करें। प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ शारीरिक शोषण का आरोप लगाया है । दोनों पक्ष को सुना गया । दोनों पक्ष अपना अपना दस्तावेजों के साथ आयोग रायपुर में उपस्थित हो ताकि प्रकरण पर उचित कार्यवाही हो सके।

एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्ष को विस्तार से सुना गया। इनका विभिन्न न्यायालय में प्रकरण चल चुके है और न्यायालय से आदेश प्राप्त हो चुका है इसलिए प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में कम उम्र की लड़की को शादी का प्रलोभन देकर अनावेदक द्वारा भगाया गया था। अनावेदक क. 1 के खिलाफ आवेदिका ने एफआईआर दर्ज कराई है। अनावेदक के खिलाफ धारा 376 दर्ज किया गया। अनावेदक अभी वर्तमान में जेल में बंद है। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के पति की मृत्यू 11 फरवरी 2020 को हुई थी आवेदिका का कथन है कि उसका बयान पुलिस ने सही दर्ज नहीं किया है और विभिन्न पुलिस विभाग में शिकायत किया है जिसमें कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है। अनावेदक के 2 सहायक उप निरीक्षक उतई ने बताया कि इस प्रकरण में आवेदिका उच्च न्यायालय में प्रकरण लगा चुकी है और उच्च न्यायालय ने प्रकरण खारिज कर दिया है। प्रकरण सुनवाई हेतु रायपुर स्थानांतरित किया गया है।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपने जमीन पर अनावेदकों ने कब्जा करने और प्रकरण दायर करने की जानकारी दी। अनावेदक क. 1 ने एक एफ.आई.आर की कॉपी. प्रस्तुत की है, जिसमें अनावेदक के बेटे के खिलाफ दर्ज कराया गया है। दोनो पक्षों को अपने-अपने दस्तावेज व प्रकरण की संक्षिप्त को टाईप कराकर आयोग रायपुर में उपस्थिति होने का निर्देश दिया गया।

आवेदिका ने कहा कि उसे अनावेदक 402 से लेकर 7 तक समाज से बहिष्कृत कर रखा है, अनावेदक के 1 से 4 द्वारा प्रकरण को वापस लेने का दबाव डाला जा रहा है। अनावेदकगण ने कहा कि कोई भी सामाजिक बहिष्कार नहीं किया गया है आवेदिका की माता पिता सभी सामाजिक कार्यक्रम में आते जाते है और उनका कोई भी समाजिक बहिष्कार नही किया गया है। अतः नस्तीबद्ध किया जाता है। एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्ष के मध्य थाने में दहेज प्रताड़ना दर्ज हो गया है। नास्तिबद्ध।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदकगण के बीच बैंक संबंधी आपसी मामला होने पाया गया। दोनो पक्षो की जांच आंतरिक समिति में अपना पक्ष रखकर जांच की जा सकती है नास्तिबद्ध।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदक अपने-अपने 10 शर्त लेकर आयोग रायपुर में उपस्थित होंगे तब सुलहनामा का प्रयास होगा ताकि बच्चे का भविष्य सुरक्षित रहे। एक अन्य प्रकरण में अनावेदक व्दारा एक पत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें शिकायतकर्ता असल में नहीं है। उस संबंध में कुलपति के लेटर पैड में रजिस्ट्रर डाक के माध्यम से प्राप्त होने पर आगामी सुनवाई किया जाएगा।

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