छत्तीसगढ़

राज्यपाल डेका ने तीन गांवों को लिया गोद, होगा समावेशी और मानव-केंद्रित विकास

रायपुर। राज्यपाल रमेन डेका ने एक नई पहल करते हुए प्रदेश के तीन गांवों — बेमेतरा जिले का टेमरी, गरियाबंद जिले का मड़वा डीह, और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले का सोनपुरी — को गोद लेने का निर्णय लिया है। यह कदम राज्य में समावेशी, सतत और मानव-केंद्रित विकास के लिए एक प्रेरक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है।

गांवों में लागू होंगी फ्लेगशिप योजनाएं, बिना अतिरिक्त बजट के

राज्यपाल द्वारा गोद लिए गए गांवों में केंद्र और राज्य सरकार की प्रमुख योजनाएं जैसे जल जीवन मिशन, नरेगा, आईसीडीएस, एनआरएलएम आदि को समन्वय के साथ लागू किया जाएगा। इस कार्य के लिए अतिरिक्त राशि का प्रावधान नहीं किया गया है, बल्कि मौजूदा योजनाओं के संसाधनों और निगरानी का बेहतर उपयोग किया जाएगा।

इन क्षेत्रों पर रहेगा विशेष फोकस:
    जल संरक्षण: अमृत सरोवर, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग
    हरित आवरण: वृक्षारोपण, कैम्पा व नरेगा के जरिए हरियाली
    शिक्षा: स्कूलों का जीर्णोद्धार, ड्रॉपआउट दर में कमी, पुस्तकालय सशक्तिकरण

    स्वास्थ्य व पोषण: टीबी उन्मूलन, साफ-सफाई, आंगनबाड़ी केंद्रों की मजबूती

    आजीविका: कौशल प्रशिक्षण, स्वयं सहायता समूह, ग्रामीण उद्यमिता
    सामाजिक सुरक्षा: बुजुर्गों, दिव्यांगों की देखभाल, नशा मुक्ति व मानसिक स्वास्थ्य
    कृषि सुधार: जैविक व पारंपरिक खेती, मृदा स्वास्थ्य कार्ड
    संस्कृति और विरासत: ग्रामीण पर्यटन, धरोहर संरक्षण

निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली भी होगी मजबूत

राज्यपाल ने निर्देश दिए हैं कि इन गांवों में विकास कार्यों की नियमित निगरानी और मापने योग्य संकेतकों के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा। इनमें भूजल स्तर, हरित क्षेत्र में वृद्धि, और विद्यालयों में ड्रॉपआउट दर में कमी जैसे पहलू शामिल हैं।

राज्यपाल सम्मेलन की प्रेरणा से बनी योजना

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष नई दिल्ली में आयोजित राज्यपालों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री की अपील के तहत सभी राज्यपालों से फ्लेगशिप योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया गया था। उसी के परिपालन में राज्यपाल डेका ने प्रदेश के जिलों का दौरा कर जमीनी हालात का अवलोकन किया और अब इन गांवों को आदर्श गांव के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है।

राज्यपाल रमेन डेका की यह पहल न केवल प्रशासनिक नेतृत्व का उदाहरण है, बल्कि यह साबित करती है कि राज्य प्रमुख की संवेदनशीलता और सक्रियता से ग्रामीण विकास को नया आयाम दिया जा सकता है। ये गांव अब छत्तीसगढ़ में समग्र और टिकाऊ ग्रामीण विकास की दिशा में रोल मॉडल बन सकते हैं।

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