आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 25 दिसम्बर 2023
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शिशिर
मास – मार्गशीर्ष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्दशी 26 दिसम्बर प्रातः 05:46 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र – रोहिणी रात्रि 09:39 तक तत्पश्चात मृगशिरा
योग – शुभ 26 दिसम्बर प्रातः 04:23 तक तत्पश्चात शुक्ल
राहु काल – सुबह 08:38 से 09:59 तक
सूर्योदय – 07:18
सूर्यास्त – 06:01
दिशा शूल – पूर्व
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:32 से 06:25 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:13 से 01:06 तक
व्रत पर्व विवरण – तुलसी पूजन दिवस, विश्वगुरु भारत कार्यक्रम (२५ दिसम्बर से १ जनवरी तक), महामना पं. मदनमोहन मालवीय जयंती (दि.अ.)
विशेष – चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
तुलसी पूजन दिवस : 25 दिसम्बर 2023
तुलसी पूजन विधि
25 दिसम्बर को सुबह स्नानादि के बाद घर के स्वच्छ स्थान पर तुलसी के गमले को जमीन से कुछ ऊँचे स्थान पर रखें । उसमें यह मंत्र बोलते हुए जल चढ़ायें-
महाप्रसादजननी सर्वसौभाग्यवर्धनी ।
आधिव्याधिहरा नित्यं तुलसि त्वां नमोऽस्तु ते ।।
फिर तुलस्यै नमः मंत्र बोलते हुए तिलक करें, अक्षत (चावल) व पुष्प अर्पित करें तथा कुछ प्रसाद चढ़ायें । दीपक जलाकर आरती करें और तुलसी जी की 7,11, 21, 51 या 111 परिक्रमा करें ।
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च ।
तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे ।।
उस शुद्ध वातावरण में शांत हो के भगवत्प्रार्थना एवं भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करें । तुलसी पत्ते डालकर प्रसाद वितरित करें ।
तुलसी के समीप रात्रि 12 बजे तक जागरण कर भजन, कीर्तन, सत्संग-श्रवण व जप करके भगवद्-विश्रांति पायें । तुलसी नामाष्टक का पाठ भी पुण्यकारक है ।
तुलसी नामाष्टक
वृन्दां वृन्दावनीं विश्वपावनीं विश्वपूजिताम् ।
पुष्पसारां नन्दिनीं च तुलसीं कृष्णजीवनीम् ।।
एतन्नामष्टकं चैतस्तोत्रं नामार्थसंयुतम् ।
यः पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत् ।।
भगवान नारायण देवर्षि नारदजी से कहते हैं- “वृंदा, वृंदावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी – ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं । जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है ।” (ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंड 22.32-33)
धन-सम्पदा प्रदायिनी, दरिद्रतानाशक तुलसी
ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने तथा पूजा के स्थान र गंगाजल रखने से बरकत होती है ।
तुलसी को रोज जल चढ़ाने तथा गाय के घी का दीपक जलाने से घर में स ख-समृद्धि बढ़ती है ।
जो दारिद्रय मिटाना व सुख-सम्पदा पाना चाहता है, उसे तुलसी पूजन दिवस के अवसर पर शुद्ध भाव व भक्ति से तुलसी के पौधे की 108 परिक्रमा करनी चाहिए ।
1. श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा । इस दशाक्षर मंत्र के द्वारा विधिसहित तुलसी का पूजन करने से मनुष्य को समस्त सिद्धि प्राप्त होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण प्र. खं. 22.10.11)
2. जिस घर में तुलसी का पौधा हो उस घर में दरिद्रता नहीं रहती । जहाँ तुलसी विराजमान होती हैं, वहाँ दुःख, भय और रोग नहीं ठहरते । (पद्म पुराण, उत्तर खण्ड)
3. सोमवती अमावस्या को तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है ।
कैंसर का अनुभूत उपाय
कैंसर के रोगी को 10 ग्राम तुलसी का रस तथा 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह दोपहर शाम देने से अथवा 10 ग्राम तुलसी का रस एवं 50 ग्राम ताजा दही (खट्टा नहीं) देने से उसे राहत मिलती है । एक-एक घंटे के अंतर से दो-दो तुलसी के पत्ते भी मुँह में रखकर चूसते रहें ।
सुबह दोपहर शाम दही व तुलसी का रस कैंसर मिटा देता है (सूर्यास्त के बाद दही नहीं खाना चाहिए ।) वज्र रसायन की आधी गोली दिन में 2 बार लें ।