छत्तीसगढ़

स्कूली बच्चों की ड्रेस की आपूर्ति करेगा हाथकरघा संघ : मुख्यमंत्री बघेल

रायपुर। मुख्यमंत्री बघेल शुक्रवार को सरदार बलबीर सिंह जुनेजा स्टेडियम में छत्तीसगढ़ बुनकर शिल्पी संघ द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय बुनकर सम्मेलन में शामिल हुए। उन्होंने इस दौरान बुनकरों के हित में आगामी शैक्षणिक सत्र 2024-25 में स्कूलों में गणवेश आपूर्ति के लिए छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा संघ को प्रदान करने की घोषणा भी की। सम्मेलन में राज्य भर से बुनकर समाज के महिला-पुरूष सहित समूह के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि बुनकर सामाज बहुत मेहनती और उद्यमी समाज है। यह समाज धागा कातने और कपड़ा बुनने के काम को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ा रहा है। पुरखों ने हमें जो हुनर सिखाया है, उसे हम भूले नहीं है। आज मशीनी उत्पादों से लोगों का मोह भंग हो रहा है। हाथों से बने, शुद्ध और भरोसे के उत्पादों की तरफ लोग लौट रहे हैं। कृत्रिम की जगह प्राकृतिक चीजों की मांग बढ़ रही है। यह हमारे परंपरागत उद्यमियों के लिए एक अच्छा अवसर है, इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमने बीते पांच सालों में बुनकर भाइयों के प्रशिक्षण से लेकर उत्पादन में सहयोग और उनके उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने तक सभी तरह के जरूरी कदम उठाए हैं। हमने छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी जी के सपनों को साकार करने के लिए लगातार काम किया है। इन पांच सालों में हमने बुनकरी के विकास के लिए एक ऐसी मजबूत अधोसंरचना तैयार की है, जिसका लाभ आने वाले कई वर्षों तक मिलता रहेगा। इससे बुनकरी के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर निर्मित होंगे। मैं बुनकर समाज के लोगों से अपील करता हूं कि आप नये जमाने के अनुरूप नये दृष्टिकोण के साथ अपने इस परंपरागत पेशे को आगे बढ़ाएं। हमारी सरकार हर कदम पर आपके साथ खड़ी है।

कोसा उत्पादन के मामले में आज भी छत्तीसगढ़ देश में सबसे आगे है। हमारे यहां बने कपड़ों की मांग विदेशों तक है। हमारे यहां के रेशमी कपड़ों की क्वालिटी का कहीं मुकाबला नहीं है। आज हमारे बच्चे पढ़-लिखकर बाजार को बेहतर तरीके से समझ रहे हैं। नयी पीढ़ी के उद्यमी बच्चे कपड़ों के प्रिंट और डिजाइन में तरह-तरह के नवाचार कर रहे हैं। उन्हें इसका फायदा भी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि बुनकर समाज अपने पुश्तैनी व्यवसाय को नये नजरिये के साथ आगे बढ़ाएं। हमारी सरकार आपकी पूरी मदद करेगी।

आज हमारे सामने दंतेवाड़ा की डेनेक्स फैक्टरी एक सफल उदाहरण कि यदि आधुनिक दृष्टिकोण के साथ हम अपना काम करेंगे तो कपड़े के निर्माण के क्षेत्र में भी हमारे लिए नयी संभवानाओं के बहुत से दरवाजे खुल जाएंगे। सुराजी गांव योजना का एक लक्ष्य पारंपरिक व्यवसाय और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना भी है। बुनकरी, शिल्पकारी, कारीगरी जैसे उद्यमियों को आगे बढ़ाने के लिए ही हमारी सरकार ने रीपा योजना शुरू की है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 300 औद्योगिक पार्कों की स्थापना करके परंपरागत उद्यमितयों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हमने जगह-जगह सी-मार्ट की स्थापना की है। ये ऐसे बाजार हैं, जहां पर स्थानीय उत्पादों की ही बिक्री की जाती है। छत्तीसगढ़ के जंगलों को बचाए रखने के साथ-साथ रेशम कीट पालन के जरिये भी हमारी सरकार रेशम-उत्पादन को बढ़ावा देने का काम कर रही है। रेशम कीट पालन को अब हमारी सरकार ने खेती का दर्जा दे दिया है। इससे छत्तीसगढ़ में रेशम का उत्पादन बढ़ेगा। हमारे बुनकर भाइयों को आसानी से रेशम उपलब्ध हो सकेगा। रेशमी कपड़ों के उत्पादन में भी वृद्धि होगी।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, महापौर नगर पालिक निगम एजाज ढेबर तथा समाज के पदाधिकारी विशाल राम देवांगन, शैलेश देवांगन, अवधराम देवांगन और देवानंद देवांगन, किशन देवांगन, उदित देवांगन, राजेन्द्र देवांगन, शशिकांत देवांगन, रोहित देवांगन सहित बुनकर समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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