छत्तीसगढ़

जेल में बंद हर महिला कैदी और उनके बच्चों तक खुशियां पहुंचनी चाहिए : जस्टिस भादुड़ी

रायपुर। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और खुशी फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में 17 व 18 दिसम्बर को केन्द्रीय जेल, रायपुर में निरूद्ध महिला बंदियों और उनके बच्चों के उत्थान के लिए कार्यक्रम आयोजित हुआ। यह कार्यक्रम मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी, न्यायमूर्ति, च्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, छग राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर, अतिथि डाॅ. व्ही.सी. विवेकानंदन, कुलपति, हिदायतुल्ला नेशनल लाॅ यूनिवर्सिटी, नवा रायपुर एवं अध्यक्षता श्रीमती हमीदा सिद्दीकी, संस्थापक, खुशी फाउन्डेशन की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।

समापन सत्र में न्यायमूर्ति के अलावा अब्दुल ज़ाहिद कुरैशी, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, रायपुर, हेमंत सराफ, प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय, रायपुर, आनंद प्रकाश वारियाल, सदस्य सचिव, छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर, दिग्विजय सिंह, मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट, रायपुर, गिरिश कुमार मंडावी, उप सचिव, छ0ग0राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर, प्रवीण मिश्रा, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायपुर, एस.एस. तिग्गा, जेल अधीक्षक, केन्द्रीय जेल, रायपुर एवं श्रीमती मधु सिंह, जेल अधीक्षिका, केन्द्रीय जेल महिला प्रकोष्ठ, रायपुर उपस्थित रहे।  कार्यक्रम का संचालन खुशी फाउन्डेशन की ओर से श्रीमती केसर सिद्दीकी द्वारा किया गया एवं उनके द्वारा उक्त कार्यक्रम में उपस्थित सभी न्यायाधीशगण, पुलिस विभाग, पैरालीगल वाॅलेन्टियर्स एवं महिला बंदियों व प्राधिकरण परिवार के साथ खुशी फाउण्डेशन के सदस्यगण का अभिनंदन किया गया।

इस कार्यक्रम में विधि छात्रों ने साइबर क्राइम पर एक नुक्कड़ नाटक कर आज कल होने वाले ओ.टी.पी. शेयर कर बैंक खाता फ्राॅड केस, मोबाइल हैक, स्कैम, फोटो वायरल सोशल मीडिया में हाने एवं ए.आई का दुरूपयोग से रोकने संबंधी नाटक कर अपना ध्यान आकृष्ट किया और इससे बचने के तरीके बताये। किसी भी प्रकार के प्रलोभन से बचने के लिए जागरूक किया गया। केन्द्रीय जेल महिला प्रकोष्ठ में निरूद्ध महिला बंदियों के छोटे-छोटे बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी।  महिला बंदियों ने भी सांस्कृतिक प्रस्तुत की, जिस पर न्यायमूर्ति द्वारा उनको सम्मान भी प्रदान किया गया।  

न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी ने बताया कि जो साइबर क्राइम पर जो नुक्कड़ नाटक पेश किया है उसके माध्यम से हम ही नहीं पूरा प्रदेश और देश जागरूक होगा क्योंकि छोटे छोटे प्रलोभनों में आकर कोई भी व्यक्ति साइबर क्राइम का शिकार हो सकता है। इसीलिए साइबर क्राइम से बचने के लिए उक्त क्राइम की जानकारी रखते हुए सतर्क रहें।  

उन्होंने कहा कि खुशी प्रोजेक्ट क्या है? आपको लग रहा होगा इससे किसी को कुछ मिलना नहीं है। परन्तु किसी को खुशी बांटकर अगर संतुष्टि मिले तो बहुत सुकून मिला है। आपसे कोई ऐसी घटना हो गई होगी, जिसके कारण आज यहां जेल के अंदर हैं और आपको कुछ समय यहां बिताना है। परन्तु यह आखिरी पड़ाव नहीं है ना ही जिंदगी का अंत है।  मैनें महसूस किया है कि अपराध कभी कभी परिस्थितिवश हो जाता है।  परंतु न्यायपालिका एवं सामाजिक संस्थाओं का आपके प्रति उत्तरदायित्व समाप्त नहीं होता है।  और हम सब मिलकर आपके समग्र विकास एवं मूलधारा में लाने के लिए कार्य करते रहेंगे।  

उन्होंने कहा कि हम हमेशा आपके साथ हैं और उस साथ का ही परिणाम है कि आपके लिए राज्य एवं जिला व तालुका स्तर पर प्राधिकरण कार्य कर रहा है जिससे आपकी कानूनी समस्याओं का निःशुल्क सेवाओं के माध्यम से निराकरण किया जा सके और आपको कानूनी राहत प्राधिकरणों के माध्यम से जिला स्तर से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक प्राप्त हो सके।

न्यायमूर्ति ने भाव विभोर होकर कहा कि आप और आपके बच्चों का इस कार्यक्रम में उत्साह देखकर मैंने हृदय से महसूस किया है कि आप सभी में कुछ न कुछ ईश्वर के माध्यम से कला विद्यमान है, जिसको मैंने आज खुशी कार्यक्रम के माध्यम से देखा तथा महसूस किया है।

कार्यक्रम के दौरान न्यायमूर्ति ने महिला बंदियों द्वारा बनाई गई रंगोली व मेहंदी प्रतियोगिता व कठपुतली कार्यक्रम और जेल का भी निरीक्षण किया और बंदियों द्वारा बनाए गए स्वादिष्ट स्वल्पाहार का भी आनंद लिया। उन बच्चों के चेहरे पर दिखी जो आज खुशी वो हमारे देश की तरक्की की खुशी बनेगी।

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