महानदी में बढ़ रहा अवैध रेत उत्खनन : प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल, हर साल हो रहा करोड़ों के राजस्व का नुकसान

बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में जीवनदायिनी महानदी पर रेत माफिया का अवैध कब्जा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। प्रतिदिन भारी वाहनों और चैन माउंटेन मशीनों के माध्यम से बिना किसी अनुमति के रेत का उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है। नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं, जिसकी शिकायतें खनिज विभाग को लगातार मिल रही थीं।
हाल ही में जिले के गिधपुरी गांव के मुख्य मार्ग के किनारे, थाने से 50 मीटर दूर अवैध रूप से भंडारित की गई लगभग 300 ट्रिप रेत को कलेक्टर के निर्देशानुसार खनिज विभाग ने जब्त किया। इस रेत की अनुमानित कीमत 10 लाख रुपये से अधिक बताई जा रही है। हैरानी की बात यह है कि इतनी बड़ी मात्रा में रेत का महीनों से भंडारण हो रहा था, फिर भी स्थानीय प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी।
20 दिन के बाद भी लावारिस रेत के मालिक को नहीं ढूंढ पाया विभाग
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि, यह रेत कई महीनों से हाइवा ट्रकों के माध्यम से लाकर डंप की जा रही थी। जब्ती को 20 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है। लेकिन अभी तक खनिज विभाग यह पता नहीं लगा पाया है कि रेत का मालिक कौन है और इसे किसने यहां एकत्रित किया। साथ ही राजस्व विभाग भी भंडारित जगह की जमीन निजी है या सरकारी इसका पता नहीं लगा पाया है।
हर साल होती है करोड़ों रुपये की राजस्व हानि
जिले में महानदी और शिवनाथ नदी रेत की मुख्य स्रोत हैं, जिनसे शासन को हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व मिलता है लेकिन इस साल कई रेत घाटों की नीलामी नहीं हुई है। इस वजह से कुछ बाहुबली और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त समूहों ने इन घाटों पर अवैध कब्जा जमा लिया है। ये माफिया समूह भारी मशीनों से रेत निकालकर उसे ऊँचे दामों पर अन्य जिलों में बेच रहे हैं, जिससे शासन को भारी आर्थिक क्षति हो रही है।
रकबा के अनुसार नहीं हो रही खुदाई
कई जगह स्वीकृत रेट घाटों में जितने रकबे में रेत उत्खनन के लिए जिस दायरे में खनन किया जाना है इससे अधिक जगह पर रेत निकाला जा रहा है। वही बलौदाबाजार रायपुर जिले की सीमा पर स्थित चिखली रेत घाट में जिले की सीमा का ध्यान ना रखते हुए बलौदाबाजार जिले की सीमा के अंदर नदी से रेत खनन किया जा रहा है, जिससे बलौदा बाजार जिले के राजस्व में हानि हो रही है।
पर्यावरण को हो रहा नुकसान
रेत माफियाओं की वजह से नदी का जलस्तर गर्मी के पहले ही सूख जाता है। नदी किनारे रहने वाले गांव में पानी की काफी समस्या देखी जा रही है, नदी में पानी नहीं रहने से माफियाओं के लिए नदी से रेत निकालने में आसानी होती है और इसका वह भरपूर फायदा भी उठाते हैं।
कार्रवाई की सख्त जरूरत
खनिज एवं राजस्व विभाग की निष्क्रियता के चलते रेत माफिया बेखौफ होकर अपने अवैध कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि, जिला प्रशासन अवैध रेत उत्खनन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, घाटों की नीलामी शीघ्र सुनिश्चित की जाए और निगरानी व्यवस्था को सशक्त बनाया जाए। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो महानदी, जो इस क्षेत्र की जीवनरेखा है, माफिया तंत्र की शिकार बनकर रह जाएगी।