आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 17 दिसम्बर 2023
दिन – रविवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – मार्गशीर्ष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पंचमी शाम 05:33 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र – धनिष्ठा रात्रि 02:54 तक तत्पश्चात शतभिषा
योग – हर्षण रात्रि 12:36 तक तत्पश्चात वज्र
राहु काल – शाम 04:37 से 05:57 तक
सूर्योदय – 07:14
सूर्यास्त – 05:57
दिशा शूल – पश्चिम
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:28 से 06:21 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:09 से 01:02 तक
व्रत पर्व विवरण – स्कन्द षष्ठी
विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
रोग प्रतिकारक शक्तिवर्धक अनुभूत प्रयोग
गाय के दूध की जितनी मात्रा हो उससे आधी मात्रा में पानी मिलाकर उसमे सोने की वस्तु (शुद्ध सोने का साफ़ सुथरा गहना चलेगा) डालकर धीमी आंच पर पानी जल जाने तक उबालें । देशी नस्ल की गाय के दुःख में प्राकृतिक रूप से स्वर्णक्षार पाए जाते हैं । स्वर्ण के साथ दुःख उबालने से स्वर्ण में स्थित स्वर्णक्षार भी दूध में मिल जाते हैं । यह स्वर्णसिद्ध गौदुग्ध रोगप्रतिकारक शक्ति को बढ़ाता है । इसका सेवन कर वृद्ध लोग भी तंदुरुस्त रह सकते हैं l सोना न हो तो चांदी का भी उपयोग किया जा सकता है ।
आर्थिक परेशानी रहती हो तो…
अथर्ववेद की गणेश उपनिषद के अनुसार दूर्वा ( जो गणेशजी की पूजा के काम में आता है ) उसे घी में डुबायें …. और आहूति दें …. ये मंत्र बोल के आहूति डालें … ” ॐ गं गणपतये स्वाहा “
सास -बहू के बीच अनबन होती हो तो..
घर में सास -बहू के बीच अनबन होती हो तो सास -बहू दोनों मिलकर एक बढ़िया फोटो खिंचवा लें…. एक दूसरे को फूल देते हुए…. मुस्कुराते हुए । वो फोटो घर में दक्षिण और पश्चिम के बीच के कोने पर लगा दें….. भगवान का नाम ले कर । फिर देखो सास -बहू के बीच कैसा प्रेम होगा ।
शास्त्रों में वर्णित तुलसी महिमा
तुलसी के निकट जो भी मंत्र-स्तोत्र आदि का जप-पाठ किया जाता है, वह सब अनंत गुना फल देने वाला होता है ।
प्रेत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, भूत दैत्य आदि सब तुलसी के पौधे से दूर भागते हैं ।
ब्रह्महत्या आदि पाप तथा पाप और खोटे विचार से उत्पन्न होने वाले रोग तुलसी के सामीप्य एवं सेवन से नष्ट हो जाते हैं ।
तुलसी के नाम-उच्चारण से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है ।
जो तुलसी पत्ते से टपकता हुआ जल आपने सिर पर धारण करता है, उसे गंगास्नान और 10 गोदान का फल प्राप्त होता है ।
जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसीदल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगास्नान का फल मिलता है ।
कलियुग में तुलसी का पूजन, कीर्तन, ध्यान, रोपण और धारण करने से वह पाप को जलाती और स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करती है ।
कैसा भी पापी, अपराधी व्यक्ति हो, तुलसी की सूखी लकड़ियाँ उसके शव के ऊपर, पेट पर, मुँह पर थोड़ी सी बिछा दें और तुलसी की लकड़ी से अग्नि शुरु करें तो उसकी दुर्गति से रक्षा होती है। यमदूत उसे नहीं ले जा सकते ।
रविवार विशेष
रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।
रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।
रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।