खरसिया रेलवे ओवरब्रिज को मिली मंजूरी: जनदबाव के आगे झुकी सरकार

खरसिया। छत्तीसगढ़ के खरसिया में बहुप्रतीक्षित रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) के निर्माण की राह अब खुल गई है। लंबे समय तक टालमटोल के बाद, छत्तीसगढ़ शासन के वित्त विभाग ने इस परियोजना के लिए अपनी सहमति दे दी है। लगभग 64.95 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को लेकर भाजपा सरकार की ओर से लगातार देरी हो रही थी। लेकिन विधायक उमेश पटेल के अथक प्रयासों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के निरंतर दबाव के बाद, सरकार को आखिरकार झुकना पड़ा और आरओबी निर्माण के लिए अनुमति जारी करनी पड़ी।
इस संबंध में, छत्तीसगढ़ सरकार के लोक निर्माण विभाग ने प्रमुख अभियंता को एक पत्र भेजकर सूचित किया है कि रायगढ़ जिले में हावड़ा-मुंबई रेलमार्ग पर स्थित खरसिया यार्ड के पास लेवल क्रॉसिंग 313 पर प्रस्तावित रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण को वित्त विभाग ने हरी झंडी दे दी है। यह मंजूरी न केवल एक परियोजना की शुरुआत है, बल्कि शहीद नंदकुमार पटेल के उस सपने की भी पूर्ति है जिसे उनके बेटे और विधायक उमेश पटेल ने कांग्रेसियों के साथ मिलकर पूरा करने के लिए संघर्ष किया।
संघर्ष से स्वीकृति तक का सफर
खरसिया में रेलवे फाटक की समस्या सालों से लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जनवरी 2021 में इस ओवरब्रिज की घोषणा की थी, और उसी वर्ष मार्च में इसका प्रस्ताव भेजा गया। सर्वे, टेंडर प्रक्रिया और भूमि अधिग्रहण के बाद, सितंबर 2022 में भूमिपूजन भी हो गया था।
लेकिन, दिसंबर 2023 में सत्ता बदलने के बाद, नई भाजपा सरकार ने राजनीतिक कारणों से वित्त विभाग से मिलने वाली अनुमति को रोक दिया। इस वजह से परियोजना का काम थम गया। यह साफ था कि सरकार जानबूझकर आरओबी का निर्माण नहीं होने देना चाहती थी, जिससे जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
उमेश पटेल की दृढ़ता और जनआंदोलन
आरओबी निर्माण की लड़ाई में विधायक उमेश पटेल एक मजबूत आवाज बनकर उभरे। उन्होंने इस परियोजना पर लगी रोक के खिलाफ हर मंच से आवाज उठाई। विधानसभा में उन्होंने बार-बार इस मुद्दे को उठाया, जिसके जवाब में उपमुख्यमंत्री अरुण साव को यह स्वीकार करना पड़ा कि वित्त विभाग के निर्देश पर ही परियोजना रुकी हुई है। इससे यह स्पष्ट हो गया कि यह देरी तकनीकी नहीं, बल्कि राजनीतिक थी।
जब विधानसभा में जवाब के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो उमेश पटेल ने सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ तहसील कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन किया। जब इससे भी बात नहीं बनी, तो उन्होंने जनता को सीधे इस संघर्ष से जोड़ा। उनके नेतृत्व में खरसिया के 18 वार्डों के सैकड़ों नागरिकों ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें चेतावनी दी गई थी कि अगर काम जल्द शुरू नहीं हुआ तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
जनता के लगातार बढ़ते दबाव और उमेश पटेल की जिद ने आखिरकार सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। अब वित्त विभाग ने औपचारिक स्वीकृति दे दी है। हालांकि, अभी भी असली राहत तब मिलेगी जब निर्माण कार्य तेजी से शुरू होगा और धरातल पर आगे बढ़ेगा। यह संघर्ष साबित करता है कि जब जनता और उसका प्रतिनिधि मिलकर किसी जनहित के मुद्दे पर डट जाएं, तो कोई भी राजनीतिक अवरोध उन्हें रोक नहीं सकता।
विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम
खरसिया के नागरिक और कांग्रेस कार्यकर्ता इस स्वीकृति को शहीद नंदकुमार पटेल के सपनों को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम और जनता की सामूहिक जीत मान रहे हैं। उनका कहना है कि वर्षों से जिस संघर्ष का नेतृत्व उमेश पटेल ने किया, वह अब सफलता में बदल रहा है।
यह ओवरब्रिज न केवल शहर को ट्रैफिक जाम और बार-बार बंद होने वाले रेलवे फाटक की समस्या से राहत देगा, बल्कि खरसिया के विकास में भी एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा। यह परियोजना उमेश पटेल के समर्पण और अथक परिश्रम का परिणाम है, जो आने वाले समय में खरसिया के उज्ज्वल भविष्य की नींव रखेगी।