जैन दादाबाड़ी में बड़े ही धूमधाम से मनाई गई कृष्ण जन्माष्टमी, बाल कृष्ण और राधाओं ने मन मोहा
रायपुर। जैन दादाबाड़ी में कृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम से मनाई गई। छोटे-छोटे बच्चे राधा और कृष्ण के रूप में आज दादाबाड़ी में अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी। बाल कृष्ण बने बच्चों ने प्रांगण में मटकी फोड़कर जन्माष्टमी मनाई। संगीतमयी प्रस्तुति ने श्रावक-श्राविकाओं का मन मोह लिया। साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान कृष्ण की लीलाओं का बहुत ही सुंदर वर्णन किया।
साध्वीजी ने कहा कि हमारा बचपन भगवान कृष्ण की तरह, युवा-अवस्था भगवान राम की तरह होना चाहिए और वृद्धा अवस्था भगवान महावीर के जैसा होना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भादो कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को हुआ था, उस समय रात्रि के 12 बज रहे थे। भगवान श्रीकृष्ण की कुंडली वृषभ लग्न की है, लग्न में उच्च का चंद्रमा था। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को 16 कलाओं का स्वामी माना गया है। चंद्रमा की उच्च स्थिति के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण 16 कलाओं के माहिर थे। भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी हमें प्रेरणा देती है कि जब भी बोलना है प्रेम से बोलना है, मीठा बोलना है। जीवन में कैसी भी घड़ी आए लेकिन घबराना नहीं चाहिए। खुद के भीतर में शांति हो तो जीवन सफल होता है।
भगवान कृष्ण का जब जेल के अंदर जन्म हुआ तो वहां तालियां बजाने और खुशियां बांटने वाला कोई भी नहीं था लेकिन आज दुनियाभर में उनका जन्मदिन मनाया जाता है, यह उनका पुण्य है। जन्म के बाद पिता उन्हें टोकरी में यमुना नदी के पार ले जा रहे थे। इसे देखकर यमुना नदी खुशी के मारे फूले नहीं समा रहे थी, उन्होंने अपनी उछाल से भगवान कृष्ण के पैर छू ही लिए। वैसे मेघराज भी उपर से बरसते भगवान का चरण स्पर्श कर लिया और नागराज ने भी उन्हें छत देते हुए अपना पुण्य कमा लिया।
आज की माताएं तो बच्चों को बासी क्रीम खिलाकर ही खुश हो जाती है और बच्चे भी उसे खा लेते है। भगवान कृष्ण अपने बचपन में बहुत ही नटखट थे। वैसे जो बच्चे बचपन में नटखट होते है वे भविष्य में बहुत आगे तक जाते है। नगर की सभी महिलाएं माता से शिकायत लेकर आती थी कि कृष्ण और उनके मित्र सबके घरों का मक्खन चुरा कर खा लेते है। माता बहुत दुखी हुई और उस दिन बाल कृष्ण को कहीं जाने नहीं दिया लेकिन वे घर से निकलकर माखन खाकर वापस आ गए। मां ने उन्हें मुंह खोलने कहा और जैसे ही उन्होंने अपना मुंह खोला माता हैरान रह गई, उन्हें भगवान कृष्ण के मुंह के अंदर पूरा ब्राम्हांड दिखाई दिया।
कृष्ण जब अपने राज सिंहासन में बैठे हुए थे तो एक आदमी उनके पास पहुंचा और उन्होंने देखते ही उसे पहचान लिया। वह उनके बचपन का मित्र सुदामा था, उसके कपड़े फटे हुए थे और हाथ में एक थैली थी, जिसमें वह अपने मित्र के लिए थोड़ा चावल भेंट करने के लिए लाया था। आज तो फटे कपड़ों का फैशन चल पड़ा है, ऐसे कपड़े पहनना आपके भविष्य को भी वैसा ही बना देगा।
मनोहरमय चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुशील कोचर और महासचिव नवीन भंसाली ने बताया कि मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन 2023 ललित विस्त्रा ग्रंथ पर आधारित है। नवकार जपेश्वरी परम पूज्य शुभंकरा श्रीजी आदि ठाणा 4 के मुखारविंद से सकल संघ को जिनवाणी श्रवण का लाभ दादाबाड़ी में मिल रहा है। साथ ही उन्होंने नगरवासियों से साध्वीजी के मुखारविंद से जिनवाणी का श्रवण करने का आग्रह किया है।