शिक्षा की नई किरण से रोशन हुआ लामपहाड़ गाँव

रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में, जहाँ घने जंगल और दुर्गम पहाड़ियाँ हैं, वहाँ एक छोटा गाँव लामपहाड़ स्थित है। यह गाँव लंबे समय तक विकास की दौड़ में पीछे रह गया था। लेकिन अब, यहाँ शिक्षा की एक नई सुबह हुई है, जो इस क्षेत्र के बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बना रही है।
लामपहाड़ मुख्य रूप से पहाड़ी कोरवा समुदाय का गाँव है, जो छत्तीसगढ़ की विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियों में से एक है। कई वर्षों तक, यहाँ के स्कूल में शिक्षकों की कमी थी, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा था। लेकिन, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देश पर सरकार ने ‘युक्तियुक्तकरण’ (rationalization) की पहल की, जिसके तहत अब गाँव के स्कूलों में नियमित शिक्षक तैनात किए गए हैं।
बच्चों के भविष्य को मिला सहारा
पहले, शिक्षकों की कमी के कारण स्कूल में पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती थी। एक शिक्षिका के तबादले के बाद कई साल तक कोई नया शिक्षक नहीं आया था। लेकिन अब, युक्तियुक्तकरण योजना के तहत प्राथमिक विद्यालय में दो और माध्यमिक विद्यालय में एक शिक्षक की नियुक्ति हुई है। इस पहल से बच्चों को नियमित और अच्छी शिक्षा मिल पा रही है।
प्राथमिक विद्यालय में 33 और माध्यमिक विद्यालय में 19 विद्यार्थी पढ़ते हैं, जिनमें से ज़्यादातर पहाड़ी कोरवा समुदाय के हैं। नए शिक्षक, जैसे कि प्राथमिक विद्यालय के श्री कलेश्वर राम कटेला और माध्यमिक विद्यालय के श्री दीपक यादव, नियमित रूप से कक्षाएँ ले रहे हैं।
खुश हैं विद्यार्थी और अभिभावक
विद्यार्थियों का कहना है कि अब उन्हें समय पर शिक्षा मिलती है, शिक्षक पूरे समय स्कूल में मौजूद रहते हैं और मध्याह्न भोजन भी नियमित रूप से मिलता है। सुखशिला, फूलमती, संगीता, देवशीला और फुलमनिया जैसी छात्राएँ बहुत खुश हैं।
अभिभावक भी इस बदलाव से प्रसन्न हैं कि उनके बच्चों को घर के पास ही अच्छी शिक्षा मिल रही है। लामपहाड़ में शिक्षा की यह नई शुरुआत सिर्फ़ बच्चों का भविष्य ही नहीं संवार रही, बल्कि इस गाँव को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने में भी मदद कर रही है।