शराब घोटाला : EOW की चार्जशीट में खुलासा, 22 अफसरों ने 88 करोड़ से खरीदी संपत्ति

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए बहुचर्चित शराब घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। हाल ही में पेश की गई चार्जशीट में बताया गया है कि 22 आबकारी अधिकारियों ने 88 करोड़ रुपए से ज्यादा की अवैध कमाई की और इन पैसों से प्रदेशभर में जमीन, मकान और निवेश के जरिए संपत्ति खड़ी की।
किसने कितनी संपत्ति बनाई?
नवीन प्रताप सिंह तोमर ने रायपुर और बलौदाबाजार में 39 खसरा और 3 रजिस्ट्रियों में जमीनें खरीदीं। संपत्ति इंदिरा देवहारी और उनके खुद के नाम पर है।
मंजूश्री कसेर ने रायपुर, जांजगीर और गरियाबंद में 25 प्रॉपर्टी रिश्तेदारों और परिचितों के नाम पर खरीदीं।
नोहर सिंह ठाकुर ने रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव में 5 संपत्तियां खरीदीं, जिनमें करुणा सुधाकर, लवकुश नायक और विजयलाल जाटवर जैसे नाम सामने आए हैं।
प्रमोद नेताम ने कोरिया, कोरबा और रायपुर में 6 प्रॉपर्टी खरीदीं।
दिनकर वासनिक ने आईओसी के शेयर, डिबेंचर और बॉन्ड में काली कमाई को छिपाने के लिए निवेश किया।
अन्य अधिकारियों जैसे इकबाल अहमद खान, मोहित जायसवाल, विजय सेन शर्मा, नीतिन खंडूजा और अरविंद पटले ने भी राज्य के अलग-अलग हिस्सों में करोड़ों की बेनामी संपत्तियां खरीदीं। जांच एजेंसी ने सभी दस्तावेजी साक्ष्य जुटा लिए हैं।
कांग्रेस भवन निर्माण में भी हुई काली कमाई की उपयोगिता
चार्जशीट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा के निर्देश पर शराब से मिली काली कमाई से कांग्रेस भवन का निर्माण किया गया। जांच के बाद उस भवन को जब्त कर सील कर दिया गया है।
कोरोना काल में शराब बिक्री दोगुनी
ईओडब्ल्यू ने आरोप लगाया कि कोरोना काल के दौरान योजनाबद्ध तरीके से शराब की बिक्री दोगुनी की गई ताकि अधिक से अधिक अवैध कमाई की जा सके। रायपुर से लेकर दिल्ली तक पैसे पहुंचाने का जिम्मा कुछ खास अफसरों को सौंपा गया था।
सियासी घमासान तेज
घोटाले को लेकर प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है। बीजेपी लगातार पूर्व भूपेश सरकार पर हमलावर है, जबकि कांग्रेस ने जांच को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है।
जांच एजेंसी अब इन अफसरों की बेनामी संपत्ति जब्ती की प्रक्रिया में जुट गई है। सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में और भी बड़े नामों का खुलासा हो सकता है।