छत्तीसगढ़

डोंगरगढ़ मां बम्लेश्वरी मंदिर में बड़ा हादसा : पहाड़ी पर खिसकी चट्टान, बाल.बाल बचे श्रद्धालु

डोंगरगढ़। राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर की पवित्र पहाड़ी पर बुधवार को एक बड़ा हादसा टल गया। मां रणचंडी प्राचीन मंदिर के पास स्थित नई सीढ़ियों के समीप एक विशाल चट्टान खिसककर गिर पड़ी, जिससे क्षेत्र में अफरातफरी मच गई। कई पेड़ जड़ से उखड़ गए और पहाड़ी पर बने रास्ते का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया।

गनीमत रही, कोई जनहानि नहीं

स्थानीय निवासियों के अनुसार यह घटना सुबह तेज गड़गड़ाहट जैसी आवाज के साथ हुई। मान बाई नेताम नामक महिला ने बताया, “ऐसा पहली बार हुआ है। चट्टान बड़ी थी, लेकिन वह दूसरी चट्टानों पर अटक गई, नहीं तो नीचे बसे घरों को भारी नुकसान हो सकता था।”

बारूदी ब्लास्टिंग और अवैज्ञानिक निर्माण बना वजह?

जानकारी के मुताबिक, हाल ही में पहाड़ी पर एक बड़ी चट्टान को हटाने के लिए बारूदी विस्फोट किया गया था, जिससे पहाड़ी की संरचना कमजोर हो गई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि बिना भू-वैज्ञानिक परीक्षण के पहाड़ी पर खुदाई, कटाई और निर्माण कार्य हो रहे हैं, जो भविष्य में और बड़े हादसों का कारण बन सकते हैं।

वन विभाग ने रास्ता कराया साफ

वन परिक्षेत्र अधिकारी भूपेंद्र उइके ने बताया कि, “चट्टानों के गिरने से रास्ता क्षतिग्रस्त जरूर हुआ है, लेकिन अब श्रद्धालुओं के लिए मार्ग साफ कर दिया गया है। गनीमत रही कि कोई जनहानि नहीं हुई।” उन्होंने यह भी कहा कि विभाग घटना के कारणों की जांच करेगा और भविष्य के लिए जरूरी सुरक्षा उपाय अपनाएगा।

प्रशासन और ट्रस्ट के लिए चेतावनी

यह घटना पर्यावरण और आस्था के बीच संतुलन कायम रखने की गंभीर चेतावनी है। विशेषज्ञों का कहना है कि मां बम्लेश्वरी जैसी धार्मिक स्थलों पर निर्माण कार्यों से पहले भू-वैज्ञानिक और पर्यावरणीय अध्ययन अनिवार्य होना चाहिए।

क्या कहते हैं जानकार

स्थानीय ट्रस्ट और प्रशासन से सुरक्षा मानकों का पुनर्मूल्यांकन और पहाड़ी क्षेत्र की संरचनात्मक मजबूती पर विशेष ध्यान देने की मांग उठ रही है।

यह घटना भले ही जनहानि के बिना टल गई हो, लेकिन भविष्य के लिए साफ संकेत है कि विकास की रफ्तार आस्था और प्रकृति की सहमति से ही तय होनी चाहिए।

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