छत्तीसगढ़

मोदी सरकार द्वारा फिर 40 ट्रेनें रद्द करना छत्तीसगढ़ के साथ घोर अन्याय : सुशील आनंद

रायपुर। रेलवे ने पिछले एक सप्ताह के अंदर छत्तीसगढ़ से चलाने वाली 40 से अधिक यात्री ट्रेनों को फिर से रद्द कर दिया। 14 लोकल ट्रेनों को भी रेलवे ने बंद करने का फरमान जारी कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि यह रेलवे का जन विरोधी फैसला है। मोदी सरकार लगातार छत्तीसगढ़ की रेल यात्री सुविधाओं को अनदेखा कर रही है। बिना किसी ठोस कारण के यात्री ट्रेनों को रद्द करने का सिलसिला मोदी सरकार द्वारा पिछले तीन साल से लिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि भाजपा नेता रेलवे और मोदी सरकार की मनमानी पर चुप्पी साधे हुये है। पिछले एक पखवाड़े में डेढ़ दर्जन केंद्रीय मंत्री, प्रधानमंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह सभी छत्तीसगढ़ आये लेकिन किसी भी भाजपा नेता ने छत्तीसगढ़ की बदहाल रेल सुविधा के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला। भाजपा को छत्तीसगढ़ के लोगों को वोट चाहिये लेकिन उनकी सुविधा से मतलब नहीं।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार यात्री रेल और रेल सुविधाओं को बंद करने का षड़यंत्र कर रही है देश भर में यात्री गाड़ियां बंद की जा रही है, यात्री गाड़िया अचानक रद्द कर दी जाती है, यात्री गाड़ियां घंटों नहीं दो-दो दिन लेट चल रही है। रेलवे को लेकर मोदी सरकार की कार्य प्रणाली से ऐसा प्रतीत हो रहा मोदी सरकार देश की सबसे विश्वसनीय यात्री सुविधा परिवहन के निजीकरण का षड़यंत्र रच रही है। मोदी सरकार ने देश की सबसे विश्वसनीय नागरिक परिवहन सुविधा मानी जानी वाली रेल सुविधा को मजाक बनाकर रख दिया है। पहले से आने जाने की तैयारी का ट्रेन की टिकट आरक्षित कराए जनता के साथ धोखा मोदी सरकार कर रही है। बीते 3 साल से अधिक हो चुका है जब ट्रेनों को अचानक स्थगित कर दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि ’बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था’ ’के और बिना किसी पूर्व ’सूचना’ के केंद्र की मोदी सरकार और रेलवे मंत्रालय लगातार छत्तीसगढ़ में ट्रेनों को रद्द कर रहा है, जिसके कारण छत्तीसगढ़ की जनता बुरी तरह परेशान और हलाकान है।  यूपीए सरकार के समय यात्री ट्रेनों और मालभाड़ा के परिवहन में एक समन्वय और संतुलन स्थापित था। जिसके कारण यात्री ट्रेनों को कैंसिल करने की कभी आवश्यकता नहीं पड़ी, परंतु केंद्र की मोदी सरकार की ’मुनाफाखोरी नीति के कारण’ क्योंकि कोयले के ’परिवहन में यात्री भाड़े की तुलना में’ ’30 से 40 प्रतिशत ज्यादा मुनाफा मिलता’ है। यात्री ट्रेनों के बजाय कोयले के परिवहन को प्राथमिकता दी जा रही।

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