छत्तीसगढ़ विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन सदन में गुंजा शराब बंदी का मुद्दा
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सदन में शराब बंदी का मुद्दा जमकर गुंजा।
विधायक बृजमोहन अग्रवाल और रेणु जोगी ने आबकारी मंत्री कवासी लखमा से सवाल कर घोषणा पत्र की याद दिलाई और प्रदेश में साढ़े 4 साल बाद भी शराब बंदी नही होने के सवाल पर सरकार को घेरने का प्रयास किया गया।
इस दौरान आबकारी मंत्री कवासी लखमा का जवाब से संतुष्ट नही होने पर बीजेपी के विधायको ने जमकर हंगामा किया गया।
गौरतलब हैं कि छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। लिहाजा सरकार का आखिरी विधानसभा का मानसून सत्र भी हंगामे शुरू हुआ। मानसून सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने सरकार को शराब बंदी के मुद्दे पर घेरने का प्रयास किया।
बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल और जोगी कांग्रेस से विधायक रेणु जोगी ने आबकारी मंत्री से शराब बंदी को लेकर सवाल पूछे। दोनों विधायकों ने प्रदेश सरकार पर शराब बंदी की घोषणा के बाद भी प्रदेश में शराबबंदी को लेकर किये गये प्रयास और इस प्रयास में किये ये खर्च की जानकारी मांगी गयी।
बृजमोहन अग्रवाल के सवाल पर आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने जवाब देते हुए बताया कि प्रदेश में शराब बंदी के लिए राजनैतिक समिति, प्रशासनिक समिति और सामाजिक समिति का गठन किया गया हैं।
साल 2019 से लगातार शराब बंदी के लिए बैठक की गयी और वर्ष 2023 में समिति के सदस्य और अधिकारियों द्वारा गुजराज और बिहार राज्य का अध्यन्न भ्रमण कर वहां की आबकारी नीति की जानकारी ली गयी।
आबकारी मंत्री ने बताया कि बताया कि इस अध्यन्न भ्रमण में 15 लाख 94 हजार 379 रूपयें खर्च। शराब बंदी के सवाल पर कवासी लखमा ने जवाब दिया कि समितियों द्वारा अन्य राज्यों की आबकारी नीति का अध्यन्न करने के बाद रिपोर्ट सरकार को पेश की जायेगी, समितियों के अनुशंसानुसार राज्य में पूर्ण शराब बंदी लागू करने के संबंध में निर्णय लिया जायेगा। कवासी लखमा के इस जवाब को लेकर सदन में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया गया।