छत्तीसगढ़

रायपुर में कृषि मंत्री रामविचार नेताम के आवास पर धूमधाम से मनाया गया ‘पोरा तिहार’

रायपुर। छत्तीसगढ़ का पारंपरिक लोक पर्व ‘पोरा तिहार’ रायपुर में कृषि मंत्री रामविचार नेताम के आवास पर धूमधाम से मनाया गया। इस उत्सव में राज्यपाल रमेन डेका ने भी शिरकत की। उन्होंने विधिविधान से पूजा-अर्चना कर छत्तीसगढ़ के लोगों को पोरा तिहार की शुभकामनाएँ दीं। राज्यपाल ने इस पर्व को छत्तीसगढ़ की ग्रामीण संस्कृति और कृषि जीवन की एक महत्त्वपूर्ण परंपरा बताया।

पर्व का महत्त्व और उद्देश्य

कार्यक्रम की शुरुआत में कृषि मंत्री नेताम ने अपनी पत्नी पुष्पा नेताम के साथ मिलकर भगवान शिव-पार्वती और नंदिया-बैला की पूजा की और प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की। उन्होंने पोरा तिहार को किसानों और पशुओं के प्रति उनके प्रेम को समर्पित एक महत्त्वपूर्ण पर्व बताया। इसके साथ ही, उन्होंने तीन दिन बाद आने वाले ‘तीजा’ पर्व का भी उल्लेख किया, जिसे सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार हर महीने ‘महतारी वंदन योजना’ के तहत महिलाओं के खातों में एक-एक हजार रुपये हस्तांतरित कर उनका सम्मान बढ़ा रही है।

उपमुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की उपस्थिति

उपमुख्यमंत्री साव ने इस अवसर पर कहा कि पोरा तिहार छत्तीसगढ़ की परंपरा और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। उन्होंने अपनी सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे कार्यों पर भी ज़ोर दिया। महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने पोरा तिहार की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि वर्तमान सरकार राज्य के पारंपरिक पर्वों को नए जोश और उत्साह के साथ मना रही है। इस कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, मंत्री गजेंद्र यादव, गुरु खुशवंत साहेब, पूर्व राज्यपाल रमेश बैस, विधायक पुरंदर मिश्रा, रोहित साहू, मोतीलाल साहू, इन्द्र कुमार साहू सहित कई गणमान्य व्यक्ति और आमजन उपस्थित थे।

उत्सव का माहौल और पारंपरिक छटा

कृषि मंत्री के निवास को ग्रामीण परिवेश में सजाया गया था। इस सजावट में पारंपरिक बैलगाड़ी, नंदिया-बैला और मिट्टी के खिलौने तथा बर्तनों का उपयोग किया गया था। इस मनमोहक वातावरण ने गाँव की झलक प्रस्तुत की। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियाँ दीं, जिससे उत्सव और भी जीवंत हो उठा। आगंतुकों ने ठेठरी, खुरमी, अइरसा, गुलगुला भजिया, चीला और फरा जैसे पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का भी खूब लुत्फ उठाया।

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