युक्तियुक्तकरण का आदेश जारी, शिक्षक संगठनों का विरोध तेज

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने आखिरकार स्कूलों के युक्तियुक्तकरण (रैशनलाइजेशन) का आदेश जारी कर दिया है। इसके तहत कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को पास के अन्य स्कूलों में मर्ज कर दिया गया है। सरकार का दावा है कि इससे शिक्षकों की तैनाती संतुलित होगी और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा, लेकिन शिक्षक संगठनों और विपक्ष ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है।
क्या कहती है सरकार?
स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार 212 प्राथमिक स्कूल अभी भी शिक्षकविहीन हैं। 6,872 प्राथमिक स्कूलों में केवल एक शिक्षक कार्यरत है। 362 स्कूल ऐसे हैं जहां छात्र नहीं, लेकिन शिक्षक हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा: “कुछ स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, तो कुछ में ज़रूरत से अधिक। इस असमानता को दूर करने और छात्रों के हित में यह कदम उठाना जरूरी था।”
शिक्षक संगठनों में नाराज़गी, बुधवार को मंत्रालय का घेराव
शिक्षक संघों ने इस फैसले को एकतरफा बताया है। उनका आरोप है कि प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है। शिक्षकों को बिना पूछे हटाया जा रहा है, जिससे उनका पारिवारिक और सामाजिक जीवन प्रभावित हो रहा है। संगठन ने घोषणा की है कि वे बुधवार को मंत्रालय का घेराव करेंगे।
विपक्ष ने सरकार को घेरा
कांग्रेस ने युक्तियुक्तकरण को लेकर भाजपा सरकार पर हमला बोला। धनेंद्र साहू, पूर्व पीसीसी प्रमुख ने कहा: “ऐसे बड़े फैसले बिना संवाद के लिए जाते हैं, जो शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं।” कांग्रेस का आरोप है कि 18 महीने में शिक्षा व्यवस्था में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ। पार्टी ने कहा कि जनप्रतिनिधियों और स्थानीय पंचायतों को योजना में शामिल नहीं किया गया, जबकि वे जमीनी हकीकत को बेहतर समझते हैं।
क्या हैं शिक्षक संगठनों की मांगें?
युक्तियुक्तकरण से पहले शिक्षक संगठनों से सलाह-मशविरा किया जाए
प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्पष्ट मापदंड तय किए जाएं
एक ही शिक्षक वाले स्कूलों में शिक्षकों की संख्या बढ़ाई जाए, मर्ज न किया जाए
ट्रांसफर और पदस्थापना में दबाव और मनमानी न हो
सरकार का युक्तियुक्तकरण शिक्षा के स्तर को सुधारने की मंशा से किया गया फैसला है, लेकिन इसे लागू करने का तरीका सवालों के घेरे में है। यदि शिक्षकों और स्थानीय समुदाय को विश्वास में लेकर यह प्रक्रिया की जाती, तो इसका विरोध इतना तीव्र न होता। अब सरकार के सामने चुनौती है — नीति और संवाद में संतुलन बनाने की।