छत्तीसगढ़ी पढ़ाई को लेकर संघ प्रचारक नंदकिशोर शुक्ल का फूटा गुस्सा, सरकार को आंदोलन की चेतावनी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नई शिक्षा नीति के लागू न होने और मातृभाषा के साथ कथित छल पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक नंदकिशोर शुक्ल भड़क उठे हैं। सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर जल्द सुधार नहीं हुआ तो वे सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे।
शुक्ल का आरोप – “छत्तीसगढ़ी भाषा के खिलाफ साजिश”
नंदकिशोर शुक्ल का कहना है कि राज्य में दूभाषी फार्मूले के तहत कक्षा 1वीं और 2वीं में 50% हिंदी और 50% छत्तीसगढ़ी को मिलाकर पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने इसे छत्तीसगढ़ी बच्चों के साथ “मानसिक बर्बरता” करार देते हुए लिखा –
“एक ही पीरियड में दो भाषाओं में पढ़ाना क्या बच्चों के साथ अन्याय नहीं है? देश-दुनिया में ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलेगा।”
राज्य अधिकारियों पर लगाया गंभीर आरोप
शुक्ल ने आरोप लगाया कि राज्य में कुछ गैर-छत्तीसगढ़ी अधिकारी जानबूझकर मातृभाषा को कमजोर करने का षड्यंत्र कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह सब एक योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है ताकि छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति का प्रभाव कम किया जा सके।
“मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हैं अधिकारी”
शुक्ल ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत कक्षा 1 से 5 तक मातृभाषा को माध्यम बनाकर पढ़ाई अनिवार्य है, लेकिन छत्तीसगढ़ में इसे मोदी की गारंटी कहे जाने के बावजूद सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि राज्य के अधिकारी एक भोले-भाले आदिवासी मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हैं।
30 वर्षों से कर रहे मातृभाषा की लड़ाई
गौरतलब है कि नंदकिशोर शुक्ल पिछले तीन दशकों से छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार-प्रसार और उसे शिक्षा की मुख्यधारा में लाने के लिए संघर्षरत हैं। 2007 में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिलाने और राजभाषा आयोग के गठन में उनकी भूमिका अहम रही थी।
केंद्रीय नेताओं तक पहुंचाई बात
शुक्ल ने यह भी बताया कि उन्होंने अपनी बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, और संघ प्रमुख मोहन भागवत तक विभिन्न माध्यमों से पहुंचाई है। लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।