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धोबे की पहाड़ियों पर जवानों का कब्जा

बीजापुर। छत्तीसगढ़-तेलंगाना की सीमा पर नक्सलियों के खिलाफ चल रहे सबसे बड़े संयुक्त ऑपरेशन में सुरक्षा बलों को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। ऑपरेशन के नौवें दिन, जवानों ने धोबे की दो पहाड़ियों पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया है। यह वही क्षेत्र है जो अब तक नक्सलियों के नियंत्रण में था, और जिसे अब सुरक्षा बलों ने मुक्त करा लिया है।

हेलीकॉप्टर से धोबे की पहाड़ियों पर उतरे जवान

मिली जानकारी के अनुसार, जवानों को भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से धोबे की पहाड़ियों के शिखर पर उतारा गया, जहां उन्होंने रणनीतिक रूप से कब्जा किया। इससे पहले नीलम सराय की पहाड़ी को भी जवानों ने अपने नियंत्रण में ले लिया था। अब सिर्फ कर्रेगुट्टा की पहाड़ी नक्सलियों के कब्जे में बची है, जो फिलहाल सेना के निशाने पर है।

कर्रेगुट्टा: नक्सलियों की अंतिम बड़ी पनाहगाह

कर्रेगुट्टा पहाड़ी, जो बीजापुर जिले में तेलंगाना सीमा के पास स्थित है, तीनों राज्यों—छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र—के हजारों जवानों द्वारा घेर ली गई है। यह इलाका घना जंगल, ऊंची चट्टानें, और प्राकृतिक जलस्रोतों से घिरा है, जिससे यह नक्सलियों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल बना हुआ था।

सूत्रों के मुताबिक, नक्सलियों के शीर्ष कमांडर और बड़े लीडर्स इस पहाड़ी में महीनों का राशन और हथियार लेकर छिपे हुए हैं। जवानों द्वारा धोबे की पहाड़ियों पर कब्जा करने के बाद अब कर्रेगुट्टा पर निर्णायक कार्रवाई की तैयारी चल रही है।

क्या टॉप नक्सली लीडर्स गिरफ्त में आएंगे?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या घेराबंदी सफल होगी? क्या टॉप नक्सली कमांडर सेना के हत्थे चढ़ेंगे या फिर एक बार फिर जंगल का फायदा उठाकर चकमा देकर फरार हो जाएंगे? इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में ऑपरेशन की अगली कार्रवाई के साथ सामने आएंगे।

ऑपरेशन पर नजर बनाए रखे हुए हैं अधिकारी

सुरक्षा एजेंसियां और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ऑपरेशन की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। सेना द्वारा हेलीकॉप्टर से ली गई कर्रेगुट्टा की वीडियो फुटेज भी सामने आई है, जो इलाके की कठिन भौगोलिक स्थिति और सुरक्षा बलों की रणनीति को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।

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