कवर्धा। हनुमन्त कथा के दूसरे दिन सोमवार को बागेश्वर सरकार का दरबार लगा। दरबार में पीड़ितों की समस्याओं का समाधान व उपाय बताए गए। इसके पहले लालपुर हत्याकांड के पीड़ित स्व साधराम यादव के परिजनों को आर्थिक सहायता 3 लाख रुपये बसन्त अग्रवाल व हनुमत कथा के आयोजक परिवार से भी राशि प्रदान की गई। लालपुर निवासियों से भी पीड़ित परिवार का सहयोग करने कहा ताकि एकता को देख विधर्मियो को सबक सिखाया जा सके। वे दुबारा सनातनियो की ओर आंख उठा कर न देख सके एवं अधर्मियों को फांसी देने की माग करते उनकी ठठरी बारने व गठरी बांधने की बांते कही।
पं धीरेन्द्र शास्त्री ने प्रेत दरबार पश्चात शाम को हनुमन्त कथा में लाखो की भीड़ को हनुमन्त कथा का रसपान कराते कहा कि हमको कवर्धा में विधर्मी ने पूछा आखिर चाहते क्या हो महराज? तो हमने कहा मंदिरों में भीड़ और सड़कों पर तूफान चाहिए, रामराज्य से भरा हिंदुस्तान चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि जब दिया ही नही रहे तो बाती के क्या करोगे ऐसे में जब धर्म ही नही बचेगा तो जाति का क्या करोगे।
हनुमत कथा के प्रथम दिवस उन्होंने हनुमान चालीसा की एक चौपाई दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते से कथा का प्रारभ्म की थी उसी को आगे बढ़ाते हुये दुज़रे दिन कथा में उन्होंने कहा कि जिंदगी के प्रत्येक प्रश्नों का उत्तर मिलता है हनुमानकी कथा से ।
सरल की व्याखया करते हुए कहा सरल तीन शब्द से बना है जिसके हृदय में सीता राम लक्ष्मण बैठ जाते है वो सरल बन जाता है । पाने का जुनून होना चाहिये हनुमान का भक्त के लिए कुछ भी असंभव नही है असंभव मात्र एक शब्द है । हनुमान जी ने विभीषण को राजा बना दिया था । विभीषण ने कभी स्वपन में भी नही सोचा था कि राजा बनूंगा । जिस दिन हर मंगलवार को छत्तीसगढ़ के मंदिर में लोग जाने लगे जायेगे उस दिन धर्मांतरण रुक जाएगा । ईश्वर साहू से हमने कहा कि कथा स्थल से ऐसा संकल्प ले कर जाओ की अब छत्तीसगढ़ में धर्मविरोधियो का कोई स्थान न हो । बताते चले कि ईस्वर साहू साजा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने है जिनके पुत्र की हत्या विधर्मियो ने कर दी थी ।
कथा में आगे उन्होंने शबरी कथा का रसपान कराते कहा कि आपलोग भाग्यशाली है कि आपलोगो के पास शिवरीनारायन है । सबरी छत्तीसगढ़ के जंगलो में घूमती भटकटी रहती धीरे धीरे वन में रहने वाले मतंग ऋषि के आश्रम पहुंचे । भगवान बड़े लोगो को भले नही मिलते किन्तु गरीबो को मिलते है । भगवान भाव के भूखे है । परमात्मा जाति रूप रंग नही देखता है । परिणाम है कि शबरी को गुरु और भगवान दोनो मिले । कैकई तो बहाना है राम शबरी के लिए वन आये ।
कवर्धा स्थित खेड़ापति दादा पर भजन की रचना की जिसके संगीतमय प्रस्तुति में भक्तगण झूम उठे सारा पांडाल भजन में झूम उठा ।
भगवान सबका हित चाहते है हित उनका नही जिनका स्वयं पर घमंड करता है। कण कण में भगवान है तो मंदिर क्यों जाना को सरल शब्दों में समझाते हुए कहते है कि जैसे गाड़ी पंक्चर होने पर सब जगह हवा होने के बावजूद दुकान जाना पड़ता है इसी प्रकार मंदिर जाने से भाव उत्पन्न होते है। माथे पे तिलक को लेकर समझया कि जैसे रंग पुत जाने के बाद पेड़ सरकारी हो जाता है वैसे ही माथे पर तिलक लग जाने से यमराज भी भक्त को नही सताते। वो सीधे भगवान से जुड़ जाते है।