छत्तीसगढ़

बर्खास्त शिक्षकों ने 2621 फीट लंबी चुनरी अर्पित कर मां महामाया से मांगा न्याय

रायपुर। बर्खास्त बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षक अपनी समायोजन की मांग को लेकर पिछले तीन महीनों से लगातार आंदोलन कर रहे हैं। नवरात्रि के पावन अवसर पर इन शिक्षकों ने अपने संघर्ष को आस्था से जोड़ते हुए एक अनूठा प्रदर्शन किया। 2621 फीट लंबी चुनरी यात्रा निकालकर मां महामाया देवी को अर्पित की गई और सेवा सुरक्षा के लिए प्रार्थना की गई। इसके अलावा, भाटागांव स्थित मां शीतला माता मंदिर में भी पूजा-अर्चना कर सरकार से अपने अधिकार की रक्षा की गुहार लगाई।

“यह न्याय की आस और हक की पुकार है”

बर्खास्त सहायक शिक्षक विनोद जयसवाल ने कहा, “आज नवरात्रि के छठे दिन हमने अपने आंदोलन को आध्यात्मिक शक्ति से जोड़कर महामाया देवी मंदिर में 2621 फीट लंबी चुनरी अर्पित की।” यह चुनरी न्याय की आस, हक की पुकार और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एक संकल्प था। इस आंदोलन में हजारों शिक्षकों ने भाग लिया, जो वर्षों तक शिक्षा देने के बाद अन्यायपूर्ण फैसलों के कारण रोजगार से वंचित हो चुके हैं।

महिला शिक्षिकाओं का सांकेतिक प्रदर्शन: नवदुर्गा के रूप में अपनी शक्ति का परिचय

नवरात्रि के पंचमी दिवस पर महिला शिक्षिकाओं ने नवदुर्गा के विभिन्न स्वरूपों को धारण कर प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया। यह सिर्फ सरकारी नीति के खिलाफ प्रदर्शन नहीं था, बल्कि एक शिक्षिका, एक माँ, एक गृहिणी और एक समाज निर्माता के सम्मान की रक्षा का संकल्प भी था।

महिला शिक्षिकाओं ने देवी माँ की संध्या आरती का आयोजन कर सरकार से न्याय की प्रार्थना की और अपनी सेवाएं बहाल करने की मांग की।

“हमारी लड़ाई सिर्फ नौकरी की नहीं, आत्मसम्मान की है”

नम्रता वर्मा, शिक्षिका:

“नवरात्रि शक्ति की आराधना का पर्व है, और हर नारी में मां दुर्गा का अंश होता है। जैसे मां ने अधर्म के खिलाफ शस्त्र उठाए, वैसे ही हम अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज़ उठा रहे हैं। हमारी मेहनत और सेवा को व्यर्थ न जाने दें।”

गायत्री देवी मिंज, शिक्षिका:

“मैंने अपने बच्चों को घर और स्कूल, दोनों जगह सँभाला। माँ अन्नपूर्णा की तरह पोषण दिया, माँ सरस्वती की तरह ज्ञान दिया और अब जब हमें न्याय चाहिए तो मां काली की तरह लड़ने को तैयार हैं। क्या सरकार हमें अपनी शक्ति सिद्ध करने के लिए विवश करेगी?”

निकिता देशमुख, शिक्षिका:

“हम हर साल माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना करते हैं, उन्हें पूजते हैं, लेकिन जब एक शिक्षिका, जो स्वयं नारी शक्ति का प्रतीक है, अन्याय के खिलाफ संघर्ष कर रही है, तो उसे अनदेखा क्यों किया जा रहा है?”

शिक्षकों का संकल्प: हार नहीं मानेंगे

यह आंदोलन अब सिर्फ नौकरी की लड़ाई नहीं, बल्कि सम्मान और न्याय की लड़ाई बन चुका है। शिक्षकों ने साफ कहा है कि जब तक सरकार उनकी सेवा बहाली और समायोजन का ठोस निर्णय नहीं लेती, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।

गौरतलब है कि कोर्ट के आदेशानुसार बीएड धारी 2600 से अधिक शिक्षकों को सहायक शिक्षक के पद से बर्खास्त कर दिया गया है। तब से ये शिक्षक लगातार अलग-अलग तरीकों से प्रदर्शन कर रहे हैं और अपने अधिकारों की बहाली की मांग कर रहे हैं।

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