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छत्तीसगढ़ में 2161 करोड़ के शराब घोटाले में अधिकारियों, नेताओं और डिस्टलरी मालिकों की साठगांठ का खुलासा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सामने आए 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में अधिकारियों, नेताओं और डिस्टलरी मालिकों की साठगांठ का खुलासा हुआ है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने सोमवार को इस महाघोटाले में पांचवीं चार्जशीट पेश की, जिसमें 30 से अधिक राज्य सेवा के अफसरों को दोषी बताया गया है। 66,000 से ज्यादा पन्नों की इस चार्जशीट को अब तक की सबसे बड़ी और संगठित आर्थिक साजिश का खुलासा माना जा रहा है।

2019-23 के बीच चला ‘सिंडिकेट मॉडल’

EOW की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019 से 2023 के बीच आबकारी अफसरों ने सिंडिकेट के साथ मिलकर फर्जी बिल, नकली होलोग्राम, कैश वसूली, ओवररेटिंग और नकली शराब की बिक्री के जरिए राज्य के खजाने को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया। चार्जशीट में बैंक ट्रांजेक्शन, कॉल रिकॉर्ड, गवाहों के बयान, डिजिटल साक्ष्य भी संलग्न हैं।

कौन-कौन है घेरे में?
 

 जनार्दन कौरव, दिनकर वासनिक, नवीन प्रताप सिंह तोमर, विकास गोस्वामी, नीतू नोतानी, इकबाल खान समेत कई अफसरों के नाम
    पूर्व विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी के लिए फील्ड में काम करने वाले अफसरों की संलिप्तता
    चुनाव फंडिंग में भी इन नामों की संदिग्ध भूमिका

डिस्टलरी मालिकों का खेल: करोड़ों का ‘कमीशन मॉडल’

चार्जशीट में कहा गया है कि शराब बिक्री बढ़ाने के लिए राज्य को 8 जोनों में बांटा गया और डिस्टलरी मालिकों से सालाना 70 करोड़ तक कमीशन लिया गया।
    वेलकम डिस्टलरी की हिस्सेदारी बढ़ाकर 58%
    छत्तीसगढ़ डिस्टलरी घटाकर 14%
    भाटिया वाइन को 28% हिस्सेदारी

नवीन केडिया, भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया और राजेंद्र जायसवाल जैसे बड़े डिस्टलरी संचालकों पर आपराधिक लिप्तता का आरोप

पार्ट A, B और C: तीन स्तरीय घोटाले की संरचना
   

पार्ट B में सबसे बड़ा खेल
    फैक्ट्री में ही नकली होलोग्राम
    गैरकानूनी शराब को वैध तरीके से दुकानों में सप्लाई
    हर दुकान में अलग से रखा जाता था गल्ला नकदी वसूली के लिए
    अवैध शराब पर 560 से बढ़ाकर 600 रुपए प्रति पेटी कमीशन, वैध पर केवल 75–100 रु

सिंडिकेट तय करता था कौन सी शराब बिकेगी

चार्जशीट के अनुसार, यह सिंडिकेट इतना मजबूत था कि प्रदेश में कौन सी ब्रांड बिकेगी और किसकी बिक्री रुकेगी, इसका निर्णय भी वही करता था। ब्रांडेड शराब की कमी इसलिए आई क्योंकि कंपनियां मनचाहा कमीशन नहीं दे रही थीं।

प्रशासन में मचा हड़कंप, पहली बार इतने अफसर चार्जशीटेड

EOW की इस कार्रवाई से प्रशासनिक गलियारों में खलबली है। राज्य के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में अफसरों को चार्जशीट किया गया है।

EOW ने साफ किया है कि यह घोटाला एक संगठित गिरोह की तरह संचालित हुआ, जिसमें नीति, नियम और जनता के पैसे को खुलकर लूटा गया।

यह घोटाला केवल आर्थिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक, राजनीतिक और संस्थागत व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है। अब निगाहें न्यायपालिका पर हैं कि क्या इतनी व्यापक लूट और मिलीभगत के आरोपियों को सख्त सजा मिल पाएगी?

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